फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह समसामयिक विषयों पर खुलकर अपनी राय रखते रहे हैं। उन्होंने अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी और उसे लेकर भारत में मुसलमानों के कुछ तबकों द्वारा जश्न मनाए जाने को खतरनाक करार दिया है। एक वीडियो संदेश में उन्होंने कहा है कि, "हालांकि अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है, लेकिन हिंदुस्तानी मुसलमानों के कुछ तबकों द्वारा तालिबान की वापसी का जश्न मनाया जाना कम खतरनाक नहीं है"
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उन्होंने कहा कि "आज हर हिंदुस्तानी मुसलमान को अपन से यह सवाल पूछना चाहिए कि उसे अपने मजहब में इसलाह (सुधार), जिद्दत पसंदी (आधुनिकता, नवीनता) चाहिए या वे पिछली सदियों के जैसा वहशीपन चाहते हैं। मैं हिंदुस्तानी मुसलमान हूं और जैसा कि मिर्जा गालिब ने एक अरसा पहले कहा था, मेरे भगवान के साथ मेरा रिश्ता अनौपचारिक है। मुझे सियासी मजहब की जरूरत नहीं है।'
उन्होंने आगे कहा कि, "हिंदुस्तानी इस्लाम दुनिया से अलग इस्लाम रहा है, और खुदा ऐसा वक्त न लाए कि हम उसे पहचान भी न सकें।"
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