मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने आईडीबीआई बैंक में 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की एलआईसी की योजना को आईआरडीएआई (भारतीय बीमा विनियामक विकास प्राधिकरण) द्वारा मंजूरी प्रदान करने को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार देश के नियामक तंत्र को नष्ट कर रही है। उन्होंने कहा कि एलआईसी का पैसा जनता का पैसा है और मोदी सरकार जनता के पैसों का दुरुपयोग कर अमीर डिफाल्टरों को राहत दे रही है।
येचुरी ने कहा, “लोगों के पैसों का उपयोग कर अमीर डिफाल्टरों को राहत दी जा रही है। एलआईसी में जनता का पैसा है। अमीर डिफाल्टरों से ऋण की वसूली क्यों नहीं हो रही है? मित्रवाद इस मोदी सरकार की सबसे बुरी चीज है। अमीर लूटकर भाग जाते हैं, और उनके कर्ज आम जनता को चुकाने पड़ते हैं।”
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सीपीएम महासचिव ने आगे कहा, “एलआईसी को बैंकिंग क्षेत्र में नहीं आना चाहिए। उसे अचानक नियमों में बदलाव कर ऐसा करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। नियामक तंत्र को मोदी सरकार द्वारा धवस्त किया जा रहा है, ताकि डिफाल्टरों को अपना कर्ज चुकाना न पड़े। क्या चल रहा है?”
येचुरी ने डॉलर के मुकाबले रुपये के गिरने पर भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा , “रुपया अबतक के निचले स्तर पर पहुंच गया है, अप्रबंधनीय एनपीए के लिए एलआईसी द्वारा आईडीबीआई को राहत और स्विस बैंक खातों में भारतीयों द्वारा जमा पैसे में 2017 में 50 प्रतिशत की वृद्धि। आईसीयू में कौन है मोदीजी। अर्थव्यवस्था, एनडीए या फिर अच्छे दिन?"
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