भारत में किसान विरोधी बिलों के खिलाफ लोगों की नाराजगी का फायदा उठाने की कोशिश में अलगाववादी समूह सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने रविवार को किसान रैली के दौरान पंजाब-हरियाणा सीमा पर शंभू टोल प्लाजा पर खालिस्तान का झंडा फहराने वाले को 10,000 डॉलर का इनाम देने की घोषणा की है। अमेरिका स्थित एसएफजे के जनरल काउंसल गुरवंत सिंह पन्नून ने भारत से अलगाव के एजेंडे के तौर पर शंभू बॉर्डर पर खालिस्तान का झंडा बुलंद करने का आह्वान किया है।
एजेंसियों ने इसे लेकर पंजाब और हरियाणा पुलिस को आगाह किया है। एजेंसियों ने सूचित किया कि शंभू सीमा पर किसानों की रैली के दौरान, एसएफजे के जनमत संग्रह अधिकारी संगठन के 'रेफरेंडम 2020' एजेंडे के लिए वोट रजिस्टर करने की कोशिश करेंगे और किसानों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कृषि सुधार बिलों के स्थायी समाधान के बारे में शिक्षित करने के लिए साहित्य वितरित करेंगे।
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पंजाब-हरियाणा इंटरस्टेट बॉर्डर पर स्थित पंजाब के पटियाला जिले का शंभू गांव क्षेत्र में किसानों के विरोध का एक प्रमुख केंद्र बन गया है। गुरुवार को यहां 31 किसान संगठनों ने अनिश्चित काल के लिए नई दिल्ली-राजपुरा लाइन पर रेलवे पटरियों की घेराबंदी कर दी है। गांव में 23 सितंबर से कृषि विधेयकों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा है। पता चला है कि किसानों ने रविवार को शंभू बॉर्डर पर एक रैली की योजना बनाई है।
इससे पहले 25 सितंबर को पंजाब बंद के आह्वान के हिस्से के रूप में सामाजिक संगठनों और पंजाबी कलाकारों के साथ हजारों किसानों ने गांव में विरोध प्रदर्शन किया। दिनभर राष्ट्रीय राजमार्ग को बंद रखा और केंद्र सरकार से कृषि बिलों को वापस लेने और उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने की मांग की। इन बिलों के विरोध में कांग्रेस ने भी 3 अक्टूबर से 5 अक्टूबर तक ट्रैक्टर रैली के आयोजन का ऐलान किया है।
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इस बीच एसएफजे इस मौके को भुनाने की कोशिश में लगा है और 1-8 अक्टूबर तक कृषि ऋण भुगतान में चूक करने वालों के बीच 10 लाख डॉलर बांटने के लिए पंजाब और हरियाणा के किसानों से आवेदन और डेटा एकत्र कर रहा है। इससे पहले समूह ने घोषणा की थी कि 1 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक कोई भी किसान खालिस्तान रेफरेंडम 2020 के लिए 25 वोट रजिस्टर कर सकता है और अपने कृषि ऋणों को चुकाने के लिए सहायता के रूप में 5,000 रुपये का अनुदान प्राप्त कर सकता है।
सुरक्षा एजेंसियों ने एसएफजे द्वारा नवीनतम प्रस्ताव पर इनपुट प्राप्त किए हैं। मोदी सरकार की भूमि हड़पने की नीति को 'ब्रिटिश राज' के रूप में दर्शाते हुए, एसएफजे ने पंजाब और हरियाणा के किसानों के बीच 10 लाख डॉलर वितरित करने के लिए ब्रिटिश साइबर स्पेस में एक समर्पित पोर्टल लॉन्च किया है, जो कृषि ऋण भुगतान में चूक रहे संकटग्रस्त किसानों को दिया जाएगा। किसान 8 अक्टूबर तक मासिक अनुदान के लिए आवेदन कर सकते हैं।
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गुरपतवंत सिंह पन्नून ने हाल ही में कहा था कि यह सिर्फ मोदी की बीजेपी ही नहीं, बल्कि कांग्रेस, आप और एसएडी (बादल) भी किसानों को कॉर्पोरेट से जुड़े लोगों के चंगुल में फेंकने में उतनी ही उलझी हुई हैं।" ब्रिटिश पोर्टल 'डब्लयूडब्लयूडबल्यूडॉटखालिस्तान4फार्मर्सडॉटयूके' के माध्यम से, समूह ने पंजाब और हरियाणा के उन किसानों से 5,000 रुपये मासिक अनुदान के लिए आवेदन भी मांगे हैं, जिनके पास 5 एकड़ से कम जमीन है और वे अपने कृषि ऋण पर चूक कर चुके हैं।
एसएफजे के ब्रिटेन के समन्वयकों परमजीत सिंह पम्मा और दुपिंदरजीत सिंह ने आरोप लगाया कि पिछले 90 दिनों के दौरान पंजाब के 221 से अधिक किसानों ने कृषि ऋणों के बढ़ते दबाव और नए फार्म बिलों के तहत निगमों द्वारा अपनी जमीन लेने के खतरे के कारण आत्महत्या कर ली है।एसएफजे ने पहले इस साल नवंबर में 'रेफरेंडम -2020' अभियान आयोजित करने की घोषणा की थी। सितंबर की शुरुआत में समूह ने पंजाब के किसानों को भारत-विरोधी 2020 रेफरेंडम-2020 से पहले उन्हें लुभाने के लिए मासिक आधार पर 3,500 रुपये की पेशकश की थी।
एसएफजे की भारत विरोधी गतिविधियों के बारे में राष्ट्रीय जांच एजेंसी की सिफारिश के आधार पर, गृह मंत्रालय ने सितंबर की शुरुआत में संगठन के प्रमुख नेताओं- गुरपतवंत सिंह पन्नून और हरदीप सिंह निज्जर की संपत्तियों की कुर्की के आदेश दिए थे। पन्नून एसएफजे का जनरल काउंसलर है, जबकि निज्जर 'रेफरेंडम 2020' कनाडा का समन्वयक है।
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