मध्य प्रदेश में पिछले एक हफ्ते के अंदर 6 किसानों ने कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर ली है। किसान नेता इन आत्महत्याओं की वजह फसल की खरीदी में देरी और समय पर भुगतान न होना मान रहे हैं। विपक्ष ने इसके लिए सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। 9 मई को नरसिंहपुर जिले के गुड़वारा गांव के रहने वाले मथुरा प्रसाद ने कर्ज से परेशान होकर जान दे दी। मथुरा प्रसाद पर लगभग ढाई लाख का कर्ज था, जिसे वह चुकाने में असमर्थ था।
आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक महीने में 17 किसान खुदकुशी कर चुके हैं, ज्यादातर मामलों में कर्ज के बोझ से दबकर उन्होंने जान दी है। किसानों की मांग और कर्ज से परेशान किसानों की खुदकुशी को लेकर किसान संगठनों ने देशभर में 1 से 10 जून तक गांव बंद का आह्वान किया है।
राजगढ़ के बोड़ा गांव में बंशीलाल अहिरवार कर्ज से परेशान था और उन्होंने फांसी के फंदे से लटककर अपनी जान दे दी। इनके अलावा धार के बदनावर में किसान जगदीश, उज्जैन के कडोदिया में किसान राधेश्याम और रतलाम ने भी आत्महत्या कर चुके हैं।
वहीं बुरहानपुर में रहने वाले एक किसान ने कर्ज चुकाने के एवज में अपने बेटे को गिरवी रख दिया था और जब वह कर्ज चुकाकर बेटे को नहीं छुड़ा पाया तो उसने आत्महत्या कर ली।
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आम किसान यूनियन के केदार सिरोही का कहना है कि राज्य में 7 दिन में 6 किसानों की आत्महत्या से साफ है कि किसान परेशान हैं और सरकार उनकी मदद नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि किसान कई दिनों तक मंडी में फसल लिए खड़े रहते हैं और खरीद नहीं होती। यदि खरीद हो भी जाए तो भुगतान में कई सप्ताह लग जाते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि किसानों के खेतों में फसलों का पैदावार कम हो रहा है जिसकी वजह से उनपर कर्ज के बोझ बढ़ रहे हैं। किसान पर सहकारी समितियों से लेकर साहूकारों तक का दबाव है।
कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, “देखिए मध्य प्रदेश में हमारे अन्नदाताओं के हालात। किसान ने अपने 17 साल के बेटे को गिरवी रख दिया और फिर भी कर्ज न चुका पाए तो आत्महत्या कर ली। प्रदेश के लिए अत्यंत शर्म की बात।”
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की है कि वे लहसुन उत्पादक किसानों की फसल समर्थन मूल्य पर तत्काल खरीदें और जो किसान अपनी फसल रखना चाहते हैं उन्हें नि:शुल्क कोल्ड स्टोरेज की सुविधा दें। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री किसानों से दुश्मनी निकालना छोड़ें और तत्काल भावांतर योजना को बंद करें ताकि प्रदेश का किसान राहत की सांस ले सके।
उन्होंने आगे कहा, “जनवरी 2018 में 5 हजार रुपये प्रति क्विंटल बिकने वाला लहसुन 3 महीने के बाद ही भावांतर के कारण 1000-500 रुपये क्विंटल के भाव पर आ गया है। मुख्यमंत्री ने जैसे ही भावांतर में लहसुन को शामिल करने की घोषणा की, दलालों ने वैसे ही बाजार में लहसुन के भाव गिरा दिए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार कह रहे है कि किसानों को उनकी फसल का उपयुक्त दाम मिलेगा। मंडियों में खरीदी के तुरंत बाद भुगतान होगा, मगर ऐसा हो नहीं पा रहा है।”
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बादल सरोज का कहना है, “किसानों को भुगतान समय पर नहीं हो रहा है। किसानों को कई दिन तक मंडी में खड़े रहना पड़ रहा है, जिसके चलते किसान खुदकुशी जैसा कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने वादे कई किए, मगर पूरे एक भी नहीं हुए।”
(आईएनएस के इनपुट के साथ)
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