शिवराज सरकार में ईमानदार अधिकारियों को अच्छे काम के बदले प्रमोशन के बजाए सजा दी जा रही है। कोई भी नौकरशाह जब शासकीय सेवा में प्रवेश करता है तो उसे संविधान के मुताबिक हर वर्ग, जाति-धर्म के लोगों के लिए समान रूप से काम करने और अपने कर्तव्यों के प्रति ईमानदार रहने की कसम खिलाई जाती है, लेकिन मध्य प्रदेश ऐसा राज्य बन गया है जहां अपनी ईमानदारी से ड्यूटी करने वाले अफसरों को इनाम नहीं बल्कि सजा जरूर मिल रही है।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी मनीष रस्तोगी के द्वारा ई-टेंडरिंग के घपले को उजागर करने के बाद उन्हें जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के साथ संबंधित विभाग से ही हटा दिया गया है।राज्य सरकार ने ईमानदारी का दावा करते हुए तमाम निर्माण विभाग के कार्यो के लिए ई-टेंडर सेवा की शुरुआत की थी। इस दावे की पोल भी खुल गई। पोल खोलने वाले विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी हैं। जिन्होंने ई-टेंडरिंग में गड़बड़ी को उजागर किया तो पहले उन्हें जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया।
इतना ही नहीं, उनके छुट्टी पर जाते ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की जिम्मेदारी दूसरे अफसर को सौंप दी गई। खबरों के मुताबिक, रस्तोगी ने विभाग की जब जिम्मेदारी संभाली तो ई-टेंडरिंग में संभावित गड़बड़ियों पर पड़ताल की। उन्हें जब इस बात पर पूरी तरह भरोसा हो गया कि गड़बड़ियां चल रही हैं तो कई अफसरों सहित मुख्यमंत्री कार्यालय तक को अवगत कराया। कई टेंडर निरस्त करने की बात कही, मगर उनकी बात सुनी जाती उससे पहले ही सरकार सकते में आ गई और रस्तोगी पर ही तलवार चला दी गई।
इससे पहले मुरैना में भारतीय पुलिस सेवा के अफसर नरेंद्र कुमार को माफियाओं ने ट्रैक्टर से कुचलकर सिर्फ इसलिए मार दिया था क्योकि उन्होंने रेत माफियाओं के खिलाफ मुहिम छेड़ी थी। इसी तरह मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर से रेत खनन के खिलाफ कार्रवाई करने वाले एक अफसर और एक महिला खनिज अधिकारी को हटाया गया।
शाजापुर में जिलाधिकारी रहते हुए आईएएस राजीव शर्मा ने काम किया तो उन्हें सचिवालय भेज दिया गया। प्रदेश में इसी तरह के कई मामले हैं जिनमें अफसर ने गड़बड़ी पकड़ी, जनता के लिए काम किया तो उसे इनाम नहीं, सजा मिली।
Published: 17 Jun 2018, 5:35 PM IST
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने ई-टेंडरिंग घोटाले के दोषियों को सामने लाने की मांग करते हुए कहा कि घोटाले के राज एक मोबाइल नंबर में छुपे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि इस पूरे घोटाले के तार शीर्ष स्तर मपर सरकार को संचालित करने वालों से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री चौहान वाकई में इस घोटाले को उजागर कर दोषियों को दंडित करना चाहते हैं तो इस मामली की निष्पक्ष जांच करवाएं।
वहीं सरकार के जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा ई-टेंडरिंग में किसी भी तरह की गड़बड़ी की बात को नकारते हुए कहा, “जो टेंडर हुआ ही नहीं, जिसमें एक पैसे का काम नहीं हुआ, एक पैसे का भुगतान नहीं हुआ, उसमें भ्रष्टाचार कैसे हो गया।”
वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता का अक्षय हुंका का कहना है कि राज्य में कुछ लोगों को ताकतवर बनाने का काम किया जा रहा है, जो भी व्यक्ति उनके ताकतवर बनने में बाधक बनता है, उसे हटा दिया जाता है। मनीष रस्तोगी के मामले में भी यही हुआ है, उन्होंने ई-टेंडरिंग की गड़बड़ी को पकड़ा और आशंका तो यहां तक है कि बीते समय में हुए 400 से 500 टेंडरों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है और रस्तोगी उन गड़बड़ियों तक पहुंच गए होंगे, लिहाजा सरकार को अपनी पोल खुलते दिखी तो उन्हें हटा दिया गया।
Published: 17 Jun 2018, 5:35 PM IST
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Published: 17 Jun 2018, 5:35 PM IST