मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों द्वारा कोरोना महामारी से निपटने के लिए हवाई दावे किए जा रहे हैं, मगर मरीजों और मौतों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की कार्यशैली से ऐसे लगता है कि उसने प्रदेश को लावारिस छोड़ दिया है।
कमल नाथ ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा, "जिस दिन 23 मार्च को शिवराज सिंह जी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी उस दिन उनका पहला बयान था कि कोरोना से निपटना मेरी पहली प्राथमिकता है। उसके बाद कांग्रेस की मांग पर एक माह बाद उन्होंने अपना मिनी मंत्रिमंडल बनाया और उसको लेकर भी कहा कि कोरोना से निपटने के लिए मंत्रिमंडल का गठन किया गया है। मंत्रियों को अलग-अलग प्रभार दिए गए, लेकिन बड़ा ही आश्चर्य है कि मुख्यमंत्री से लेकर उनका कोई भी मंत्री अभी तक प्रदेश के किसी भी कोरोना प्रभावित जिले की सुध लेने मैदान व सड़क पर नहीं उतरा है।"
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कमलनाथ ने कहा, "देश भर में चर्चित प्रदेश रेड हॉटस्पॉट बने भोपाल-इंदौर-उज्जैन व अन्य जिलों में अभी तक न मुख्यमंत्री पहुंचे हैं और न उनका कोई मंत्री प्रभावितों की सुध लेने पहुंचा है। जबकि इंदौर में तो केन्द्र सरकार का दल तक आ चुका है। मुख्यमंत्री और मंत्री दिख रहे हैं तो सिर्फ वीडियो कांफ्रेंसिंग व बैठकों में। बस सिर्फ बड़े-बड़े हवाई दावे।"
राज्य की वर्तमान स्थिति का जिक्र करते हुए कमल नाथ ने कहा, "प्रदेश में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है, प्रदेश के 43 जिले इसकी चपेट में आ चुके हैं, संक्रमण अब गांवों की ओर बढ़ता जा रहा है। इतना ही नहीं प्रदेश के सारे प्रमुख मार्ग व सीमाएं, हजारों गरीब, लाचार, बेबस मजदूरों से भरे पड़े हैं। हजारों किलोमीटर चलकर ये मजदूर घर वापसी कर रहे हैं। बड़ी संख्या में ये मजदूर दुर्घटनाग्रस्त होकर व भीषण गर्मी के कारण मौत के आगोश में समा रहे हैं।"
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कमल नाथ ने सरकार के रवैए पर चिंता जताते हुए कहा, "प्रतिदिन देश भर का मीडिया मजदूरों की बेबसी व व्यथा को सरकार के सामने पहुंचा रहा है, लेकिन बड़ा आश्चर्य है कि न मुख्यमंत्री खुद और न उनका कोई भी मंत्री अभी तक उनकी सुध लेने उनके पास पहुंचा है। इससे सरकार की संवेदनशीलता पता चलती है। सरकार कोरोना को लेकर व मजदूरों को लेकर सिर्फ हवा हवाई दावे कर रही है, जमीनी धरातल पर कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसा लग रहा है कि जैसे शिवराज सरकार ने प्रदेश को भगवान भरोसे, अपने हाल पर लावारिस छोड़ दिया है।"
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