यूक्रेन में जैसे-जैसे रूस के हमले तेज हो रहे हैं, कोटद्वार में उन अभिभावकों की सांसें भी तेज हो रही हैं, जिनके कलेजे के टुकड़े कीव और खारकीव में फंसे हुए हैं। वर्तमान में कोटद्वार क्षेत्र के चार छात्र-छात्राएं यूक्रेन में फंसे हैं, जिनमें से दो कीव और दो खारकीव में हैं। इधर, 10 छात्र रोमानिया बार्डर पर फ्लाइट का इंतजार कर रहे हैं, जबकि दो छात्राएं देश वापस पहुंच गई हैं। देवी रोड निवासी विजय कुमार की पुत्री शिवानी शर्मा यूक्रेन में खारकीव से मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं।
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रूस ने हमला किया तो शिवानी अपने अन्य सहयोगियों के साथ मेट्रो बंकर में चली गई। लेकिन, बंकर में अत्यधिक भीड़ होने के कारण वह वापस हास्टल के बेसमेंट में बने रूम में शिफ्ट हो गई और रूम के बाहर तिरंगा लगा दिया। विजय कुमार ने बताया कि रूम में आवाज करने और लाइट जलाने की अनुमति नहीं थी। ऐसे में वे अपनी बेटी की न तो सही तरीके से आवाज सुन पा रहे थे और न ही उसका चेहरा देख पा रहे थे। बताया कि उन्होंने विदेश मंत्रालय में बात की। लेकिन, विदेश मंत्रालय ने हालात सुधरने तक फिलहाल फ्लैट में ही रहने को कहा है।
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इधर, खारकीव में फंसे अनुराग पंवार के पिता किशन पंवार ने बताया कि खारकीव में गैस, बिजली और पानी की आपूर्ति बंद हो गई है, जिस कारण अनुराग और उसके साथियों की परेशानियां बढ़ गई हैं। बताया कि अनुराग और उसके साथी बंकर में हैं। बंकर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है। हालांकि, इवाना में रह रही अनुराग की बहन पायल ने रविवार सुबह भारत के लिए उड़ान भरी। इधर, कोटद्वार निवासी स्निग्धा लखेड़ा और अनुकृति रावत अभी कीव में फंसे हुए हैं। स्निग्धा के पिता भारतेंदु लखेड़ा ने बताया कि स्निग्धा और अनुकृति दोनों साथ हैं। बताया कि दोनों हास्टल की कैंटीन से भोजन ले रही हैं।
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कोटद्वार के मोहल्ला जौनपुर निवासी विभूति भारद्वाज और उनकी चचेरी बहन संस्कृति भारद्वाज यूक्रेन से अपने देश लौट आए हैं। रविवार सुबह विभूति देहरादून एयरपोर्ट पर पहुंची, जबकि संस्कृति ने दिल्ली एयरपोर्ट पर लैंड किया। विभूति ने बताया कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि रूस यूक्रेन पर हमला कर देगा। हमले की खबर मिलते ही वे भावनात्मक रूप से पूरी तरह टूट गए। इधर, अभिभावक भी लगातार यूक्रेन से बाहर निकलने का दबाव डाल रहे थे। लेकिन, यूक्रेन में तमाम सेवाएं बंद हो गई थीं। इस बीच, शुक्रवार दोपहर यूक्रेन में भारतीय दूतावास से उन्हें देश वापस लाने के लिए कुछ प्रपत्र भेजे गए, जिन्हें उन्होंने भरा। शनिवार को भारतीय ध्वज लगी एक बस उनके हास्टल में पहुंची और बस से लंबा सफर तय कर वे बुखारेस्ट पहुंचे। बुखारेस्ट में भारतीय दूतावास कर्मियों ने उनका स्वागत किया और उन्हें नाश्ते के पैकेट वितरित किए। कागजी कार्यवाही पूर्ण करने के बाद उन्होंने अपने देश के लिए उड़ान भरी और सोमवार तड़के करीब साढ़े तीन बजे दिल्ली में लैंड किया। बताया कि दिल्ली से उन्होंने देहरादून की फ्लाइट ली और यहां पहुंची। संस्कृति भी दूसरी फ्लाइट से दिल्ली पहुंच गई हैं।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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