शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के माध्यम से किसानों के जरिए मोदी सरकार पर एक बार फिर हमला बोला है। सामना के संपादकीय में लिखा गया कि सरकार ने किसानों को भरपाई के रूप में उचित मूल्य नहीं दिया। इसके साथ ही मोदी सरकार ने किसानों के लिए कुछ भी नहीं किया। सामना में यह भी आरोप लगाया है कि राज्य में बीजेपी की सरकार न बनने से केद्र सरकार इसका बदला किसानों से निकाल रही है।
Published: 18 Nov 2019, 1:00 PM IST
सामना में लिखा गया है, “किसानों का वर्तमान संकट आसमानी और सुल्तानी दोनों तरह का है। असामयिक बरसात के कारण तैयार फसलें नष्ट हो गई, ये आसमानी है और राज्य में ‘सरकार’ नहीं बनने दिया ये सुल्तानी। महाराष्ट्र का राज राज्यपाल अर्थात केंद्र सरकार के हाथ में चला गया है।”
Published: 18 Nov 2019, 1:00 PM IST
सामना में लिखा गया है कि केंद्र को महाराष्ट्र के संकट की ओर गंभीरता से देखना चाहिए था। महाराष्ट्र के किसानों के लिए खजाना खोलना चाहिए था क्योंकि उस खजाने की सबसे बड़ी कमाई महाराष्ट्र के कष्ट से कमाई हुई और अधिकार की है। ऐसे समय में जबकि महाराष्ट्र का किसान संकट में था, इस कमाई का उपयोग किया जाना चाहिए था। लेकिन दिल्ली ने महाराष्ट्र को कुछ नहीं दिया, ऐसा ही कहना पड़ेगा।
Published: 18 Nov 2019, 1:00 PM IST
सामना में लिखा गया है, “देश को आजादी मिले सात दशक से ज्यादा का समय बीत चुका है। लेकिन आसमानी और सुल्तानी कहर में किसानों का फंसना आज भी जारी है। आजाद हिंदुस्थान में भी कुछ अलग होता नहीं दिख रहा। तो बदला क्या? अतिवृष्टि से उजड़े किसानों की पीठ भले झुक गई हो परंतु रीढ़ की हड्डी नहीं टूटी है और इस शक्ति के सहारे और आशीर्वाद से हम दिल्ली से झगड़ा कर रहे हैं।”
Published: 18 Nov 2019, 1:00 PM IST
इससे पहले 16 नवंबर को शिवसेना ने सामना के माध्यम से शिवसेना पर हमला बोला था। उन्होंने लिखा था कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद 105 वालों (बीजेपी) का आत्मविश्वास इस तरह से झाग बनकर निकल रहा है जैसे मुंबई किनारे अरब सागर की लहरें हों। पूर्व सीएम फडणवीस ने अपने विधायकों से कहा कि बिंदास रहो, प्रदेश में फिर से बीजेपी की ही सरकार बनेगी। लेकिन महाराष्ट्र में नए समीकरण देखकर कुछ लोगों के पेट में दर्द शुरू हो गया है।”
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Published: 18 Nov 2019, 1:00 PM IST
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Published: 18 Nov 2019, 1:00 PM IST