शिवसेना ने ताजा हमला करते हुए अपने मुखपत्र सामना में बीजेपी और अजित पवार को सत्तांध करार दिया है। शिवसेना ने अपने संपादकीय में लिखा है कि, “महाराष्ट्र के गठन और निर्माण में इन लोगों ने खून तो छोड़ो पसीने की एक भी बूंद नहीं बहाई होगी, ऐसे लोगों ने यहां राजनीतिक घोटाला किया है। शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी इन तीनों पार्टियों ने मिलकर राजभवन में 162 विधायकों का पत्र प्रस्तुत किया है। ये सभी विधायक राजभवन में राज्यपाल के समक्ष खड़े रहने को तैयार हैं। इतनी साफ तस्वीर होने के बावजूद राज्यपाल ने किस बहुमत के आधार पर देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई?”
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शिवसेना ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर भी निशाना साधा है। उसने लिखा है कि, “एक भगत सिंह ने देश की आजादी के लिए फांसी के फंदे को चूम लिया था, यह तो हम जानते हैं। वहीं दूसरे भगतसिंह के हस्ताक्षर से रात के अंधेरे में लोकतंत्र और आजादी को वध स्तंभ पर चढ़ा दिया गया। महाराष्ट्र में जो कुछ भी हुआ उसे ‘चाणक्य-चतुराई’ या ‘कोश्यारी साहेब की होशियारी’ कहना भूल होगी। विधायकों का अपहरण करना और उन्हें दूसरे राज्य में ले जाकर कैद रखना, ये कैसी चाणक्य नीति है? श्री अजीत पवार का सारा खेल खत्म हो गया तब उन्होंने कहा कि ‘शरद पवार ही हमारे नेता हैं और मैं राष्ट्रवादी का हूं।’ ये हार की मानसिकता है।“
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शिवसेना ने अजित पवार को भी सीधे आइना दिखाया है। लिखा है कि, “अगर तुम शरद पवार के भतीजे के रूप में घूमते हो तो पहले बारामती से, विधायक पद से और पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देकर तुम्हें अपनी अलग राजनीति करनी चाहिए थी। लेकिन जो कुछ चाचा ने कमाया उसे चोरी करके ‘मैं नेता, मेरी पार्टी’ कहना पागलपन की हद है।“
शिवसेना ने कहा कि, “एक पुराने पत्र का आधार देते हुए वे एनसीपी के विधि मंडल गट को अपने नियंत्रण में रखने की जुगत भिड़ा रहे हैं और अजित पवार सही हैं, बीजेपी वाले बताने में जुटे हुए हैं। कल तक अजित पवार अपने भाषणों में कहते थे कि ये अजित पवार कभी झूठ नहीं बोलता, लेकिन अब वे रोज झूठ बोलते हैं। राज्यपाल को भी उन्होंने झूठा पत्र दिया है। “
सामना में लिखा गया है कि सरकार कोई भी बनाए. जिसके पास बहुमत है उसे ये अधिकार है लेकिन इसके लिए संविधान, राजभवन और सरकारी नियमों की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए, जिससे इन संस्थाओं पर से लोगों का विश्वास उठ जाए। कहा गया है कि, “अगर देवेंद्र फडणविस के पास बहुमत था तो बहुमत का आंकड़ा बनाने के लिए नई चांडाल चौकड़ी वाले ‘ऑपरेशन लोटस’ की क्या जरूरत थी? उस चौकड़ी का एक सदस्य तो सीधे कहता है, ‘बाजार में विधायक खुद को बेचने के लिए तैयार हैं।“
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