मोदी सरकार पर शिवसेना ने एक बार फिर हमला बोला है। सामना के संपादकीय में केन्द्र पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी सरकार का समर्थन करना देशभक्ति और विरोध व्यक्त करना देशद्रोह। यह ‘नवदेशद्रोह’ का स्टैंप अब तक कई लोगों पर लग चुका है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला भी उन्हीं में से एक हैं। उन्हें भी इसी प्रकार से ‘देशद्रोही’ साबित करने का प्रयास हुआ। हालांकि, अब सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है। फारुख अब्दुल्ला के विरोध में दाखिल एक याचिका को रद्द करते हुए कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में देशद्रोह के ठेकेदारों को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा है, ‘सरकार का जो मत है, उससे भिन्न मत व्यक्त करना देशद्रोह नहीं है। सामना के माध्यम से शिवसेना ने पूछा कि सरकार अब ‘देशद्रोह धारा’ का ठेका और मनमानी छोड़ेगी क्या? विरोधियों की टीका-टिप्पणी के संवैधानिक अधिकार को स्वीकार करेगी क्या?
Published: 04 Mar 2021, 9:51 AM IST
शिवसेना ने कहा कि दिल्ली की सीमा पर और अब गाजीपुर में आंदोलन करने वाले किसानों को भी देशद्रोही और खालिस्तानवादी साबित करने का प्रयास हुआ, इस आंदोलन का समर्थन करने वाले राजनीतिक और गैर राजनीतिक नेता और कार्यकर्ताओं को देशद्रोही और अर्बन नक्सलवादी साबित किया गया।
Published: 04 Mar 2021, 9:51 AM IST
दिशा रवि केस का जिक्र करते हुए शिवसेना ने कहा कि किसान आंदोलन टूलकिट प्रकरण में पर्यावरणविद दिशा रवि को विदेशी एजेंट साबित किया गया। 26 जनवरी को लाल किला और दिल्ली में जो हिंसाचार और उत्पात हुआ, उसके पहले नागरिक संशोधन कानून का विरोध करनेवालों को पाकिस्तान प्रेमी और देश विरोधी साबित किया गया। देशद्रोह कहा जानेवाला ‘राजद्रोह’ (सेडिशन) हमारे देश में पिछले कुछ सालों में सरकारी दल और उनकी भगत मंडली के चलन में आ गया है।
Published: 04 Mar 2021, 9:51 AM IST
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Published: 04 Mar 2021, 9:51 AM IST