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पंजाब: एसजीपीसी के अध्यक्ष पद का चयन कल, बादल परिवार ने झोंकी अपनी ताकत

दशकों से एसजीपीसी पर बादलों की अगुवाई वाला शिरोमणि अकाली दल काबिज है। प्रधान पद बड़े बादल की इच्छानुसार दिया जाता है और बाकी कार्यकारिणी सदस्य भी। फिलहाल दो साल से जत्थेदार गोविंद सिंह लौंगोवाल प्रधान हैंं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

27 नवंबर को हो रहे एसजीपीसी (शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) के प्रधान पद और कार्यकारिणी के चुनाव के मद्देनजर पंथक गतिविधियों ने खासा जोर पकड़ लिया है। दिन-रात बैठकों का सिलसिला जारी है। समूची अकाली लीडरशिप सक्रिय है। शिरोमणि अकाली दल सरपरस्त पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल अपने पुश्तैनी गांव लंबी से पूरी प्रक्रिया का नीतिगत संचालन कर रहे हैं तो पार्टी अध्यक्ष और सांसद सुखबीर सिंह बादल खुद 'फील्ड' में उतरे हुए हैं। गौरतलब है कि अरबों रुपए का सालाना बजट रखने वाली एसजीपीसी में सबसे बड़े शिरोमणि अकाली दल की 'सियासी आत्मा' बसती है। यह हिंदुस्तान की पहली संवैधानिक संस्था है, जिसका गठन 1919 में अंग्रेजों के साथ लंबे संघर्ष के बाद हुआ था। माना जाता है कि जो अकाली दल और पंथक खेमा एसजीपीसी पर काबिज होता है, पंजाब में उसकी प्रासंगिकता सबसे ज्यादा मानी जाती है और वही मुख्यधारा का सबसे बड़ा अकाली दल होता है।

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दशकों से एसजीपीसी पर बादलों की अगुवाई वाला शिरोमणि अकाली दल काबिज है। प्रधान पद बड़े बादल की इच्छानुसार दिया जाता है और बाकी कार्यकारणी सदस्य भी। फिलहाल दो साल से जत्थेदार गोविंद सिंह लौंगोवाल प्रधान हैंं। कयास थे कि इस बार भी उन्हें प्रधानगी से नवाज दिया जाएगा। लेकिन एकाएक समीकरण बदल गए हैं। अब बीबी जागीर कौर भी प्रधान पद के लिए प्रबल उम्मीदवार हो गई हैं। वो दो बार शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की अध्यक्ष रही हैं। अपनी बेटी हरप्रीत कौर के कत्ल की साजिश रचने के इल्जाम के बाद उन्हें हटा दिया गया था और बाद में केस नए सिरे से खुलने के बाद पिछली अकाली-बीजेपी गठबंधन सरकार से मंत्री पद से भी इस्तीफा देना पड़ा था।

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अदालती प्रक्रिया और फैसला अपनी जगह है लेकिन सामाजिक तौर पर बीबी जागीर को बेटी की हत्या के मामले में अभी भी संदेह की दृष्टि से देखा जाता है। खैर, अब उनके खुलकर सामने आने से वर्तमान प्रधान गोविंद सिंह लौंगोवाल की कुर्सी खतरे में पड़ गई है। बीबी जागीर कौर बादल परिवार की पुरानी वफादार तो हैं ही, बादल बहू केंद्रीय मंत्री हरसीमरत कौर बादल की भी एसजीपीसी प्रधान पद के लिए पहली पसंद हैं। बीबी कहती हैं, "एसजीपीसी के सभी सदस्यों और प्रशासन ने उनकी कार्यशैली और कार्यक्षमता देखी है। उन्होंने पार्टी से कभी कोई पद नहीं मांगा है। सुखबीर सिंह बादल अध्यक्ष के नाते सभी सदस्यों के विचार जानते हैं।" बीबी जागीर कौर का यह कथन काफी अर्थपूर्ण है। एसजीपीसी के 27 नंवबर को बनने वाले नए प्रधान का नाम सुनिश्चित करने के लिए सुखबीर सिंह बादल अमृतसर से चंडीगढ़ तक बैठक-दर-बैठक कर रहे हैं। बीबी जागीर कौर की उम्मीदवारी पर फिलहाल वो खामोश हैं।

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बेशक बैठकों का सिलसिला महज कवायद है क्योंकि सभी जानते हैं कि प्रधान वो ही बनेगा, जिसे बादल परिवार चाहेगा। हालांकि प्रधान की चयन की पूरी एक प्रक्रिया है लेकिन प्रधान बनता वही है, जिसके नाम की पर्ची बादलों की जेब में होती है। मुद्दतों से यह रिवायत चली आई है। मौजूदा एसजीपीसी प्रधान जत्थेदार गोविंद सिंह लौंगोवाल इस उम्मीद में हैं कि जिस प्रकार श्री गुरु नानक देव जी के 550 में प्रकाश पर्व में उन्होंने बादल परिवार के पक्ष में नियमों को दरकिनार करके काम किया, उसका ईनाम उन्हें प्रधान बनाकर दिया जाएगा।

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गौरतलब है कि 27 नवंबर को होने वाले अध्यक्ष पद सहित चार पदाधिकारियों और 11 कार्यकारिणी सदस्यों का चयन होना है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सिक्खों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था है, लेकिन पिछले कई सालों से उस पर भ्रष्टाचार और विसंगतियों के गंभीर आरोप लगते रहे हैं। इससे जुड़े लोगों का अन्य कई विवादों के साथ भी गहरा नाता रहा है। शिरोमणि अकाली दल के सियासी विरोधियों का यह पुराना आरोप है कि एसजीपीसी, जिसका बेहिसाब गुरुद्वारों पर कानूनी अधिकार है, का फंड बादल परिवार अपनी पार्टी के लिए इस्तेमाल करता है। यह तथ्य भी कई बार सामने आया है कि शिरोमणि अकाली दल, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को अपने सियासी और धार्मिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करता है।

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