पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के कार्यालय ने उन बयानों को सिरे से खारिज किया है, जो उनके नाम से दक्षिणपंथी समूहों द्वारा पिछले कई दिनों से लगातार सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे थे। प्रणब मुखर्जी द्वारा संघ का न्योता स्वीकार करने के बाद उनके नाम से कुछ बयान फेसबुक और ट्विटर पर लगातार फैलाने का काम चल रहा था।
ऐसे ही एक बयान में प्रणब मुखर्जी के नाम से कहा गया कि, “मैं मनमोहन की तरह गुलाम नहीं हूं मुझे जो ठीक लग रहा है मैं वह कर रहा हूं आज भारत कोआरएसएस जैसे संगठन की आवश्यकता है : प्रणब मुखर्जी”
इस बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने ट्विटर पर ही इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस में चल रही बेचैनी को व्यक्त किया। उन्होंने लिखा कि, “संघ मुख्यालय में वरिष्ठ नेता और विचारक प्रणब दा की तस्वीरों से कांग्रेस के लाखों कार्यकर्ता आहत हैं और इससे उन लोगों में बेचैनी है जो बहुसंख्यवाद, विविधता और भारतीय लोकतंत्र और गणराज्य के बुनियादी सिद्धांतों के मानते हैं।”
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उन्होंने आगे लिखा कि, “संवाद सिर्फ उन्हीं लोगों के साथ हो सकता है जो सुनना चाहते हैं, और बदलना चाहते हैं। ऐसा कहीं नहीं लगता कि आरएसएस अपनी विचारधारा से हटा है या बदला है, वह सिर्फ वैधता पाने के लिए यह सब कर रहा है।”
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उधर कांग्रेस नेता और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव रहे अहमद पटेल ने एक पंक्ति के ट्वीट में कहा कि उन्हें प्रणब मुखर्जी से ऐसी उम्मीद नहीं थी। इस ट्वीट से साफ हो गया कि प्रणब मुखर्जी और कांग्रेस के बीच काफी दूरियां हो चुकी हैं, जहां से वापसी का रास्ता नहीं हो सकता।
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गुरुवार को प्रणब मुखर्जी की तस्वीरें सामनें आईँ जिसमें वे आरएसएस के संस्थापक के बी हेडगेवार के घर जाते दिखे और उन्होंने वहां की आगंतुक पुस्तिका में लिखा कि वे भारत माता के महान सपूत को श्रद्धांजलि देने आए हैं। इस वाक्य के बाद नए सिरे से टिप्पणियों का दौर शुरु हो गया। टिप्पणियों में कुछ ने कहा कि हेडगेवार ने महात्मा गांधी की के सत्याग्रह आंदोलन में संघ को शामिल नहीं होने दिया, तो कुछ ने लिखा कि हेडगेवार अंग्रेज़ों के समर्थक थे।
आरएसएस और बीजेपी समर्थकों ने जहां प्रणब मुखर्जी के इस फैसले का स्वागत किया, वहां वरिष्ठ पत्रकार निखिल वागले ने लिखा कि, “प्रिय प्रणब मुखर्जी, देखिए आपने क्या किया। सिर्फ आपकी वजह से सारे टीवी चैनल एक फासीवादी संगठन की पब्लिसिटी कर रहे हैं।”
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कुछ लोगों ने याद दिलाया कि 2014 में दूरदर्शन ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की विजयादशमी भाषण को दिखाया था और उससे पूरे देश में एक विवाद खड़ा हो गया था। और अब, करीब चार साल बाद फिर सारे चैनल एक ऐसे कार्यक्रम का सीधा प्रसारण कर रहे हैं, जिसे इससे पहले कभी किसी ने नहीं रिपोर्ट तक नहीं किया।
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