राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के प्रमुख शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित कोरेगांव भीमा का यहां के लोगों द्वारा बलिदान का इतिहास रहा है लेकिन कुछ सांप्रदायिक तत्व इसके इतिहास को मिटाने का प्रयास कर रहे हैं।
पुणे में 31 दिसंबर, 2017 को एल्गार परिषद सम्मेलन आयोजित होने के एक दिन बाद हिंसा भड़क उठी थी। यह सम्मेलन 1818 के कोरेगांव भीमा युद्ध की याद में आयोजित किया गया था जिसमें दलितों की एक ब्रिटिश सेना ने पेशवाओं को हराया था।
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महाराष्ट्र सरकार ने हिंसा मामले को लेकर उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जे. एन. पटेल की अध्यक्षता में जांच के लिए फरवरी 2018 में कोरेगांव भीमा जांच आयोग गठित किया था। सोमवार को एक समारोह में पवार ने कहा कि हिंसा ने राज्य और देश में अशांति पैदा कर दी। आयोग के समक्ष कुछ गवाहों की पैरवी कर रहे वकील राहुल मखरे समारोह के दौरान राकांपा (शरदचंद्र पवार) में शामिल हुए। पवार ने दावा किया, ‘‘एक दिन मुझे आयोग के समक्ष पेश होने का समन मिला। पूछताछ के दौरान कुछ लोगों ने मुझ पर कुछ निश्चित चीजें बोलने के लिए दबाव डाला। कोरेगांव भीमा में लोगों के बलिदान का इतिहास रहा है। लेकिन कुछ सांप्रदायिक तत्व इसके इतिहास को मिटाने का प्रयास कर रहे हैं।’’ राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘कुछ युवाओं ने पहल की और सच्चाई समाज के सामने लेकर आए। मखरे उनमें से एक हैं।’’
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