राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने एक बड़ी टिप्पणी करते हुए गुरुवार को कहा कि सुशांत सिंह राजपूत मामले का हाल 2013 के नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड की तरह नहीं होना चाहिए, जिसे सीबीआई अब तक नहीं सुलझा पाई है। दिवंगत अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता दाभोलकर को उनकी 7वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए एनसीपी सुप्रीमो ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार सुशांत जांच में सीबीआई का सहयोग करेगी।
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बुधवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्रीय जांच एजेंसी को सुशांत सिंह के मौत की जांच स्थानांतरित करने के बाद पवार ने अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "मुझे उम्मीद है कि यह (एसएसआर) जांच दाभोलकर हत्या मामले की तरह नहीं होगी। सीबीआई ने 2014 में इस मामले की जांच शुरू की थी, लेकिन आज तक इसका कोई नतीजा नहीं निकला है।"
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जाने-माने बुद्धिवादी और महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (एमएएनएस) के संस्थापक दाभोलकर की उनके पुणे स्थित घर के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। महाराष्ट्र पुलिस द्वारा प्रारंभिक जांच के बाद बॉम्बे उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका का संज्ञान लेते हुए 2014 में इस मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया था।
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एक बयान में दिवंगत दाभोलकर के बच्चों हमीद और मुक्ता ने तर्क दिया था कि सात साल बाद भी दाभोलकर की हत्या एक रहस्य है और "यह बहुत दुखद है कि सीबीआई जैसी एजेंसी जांच पूरी करने में सक्षम नहीं हो पाई।" उन्होंने सीबीआई से भी साजिश के मास्टरमाइंडों का पता लगाने का आग्रह किया था, वरना तर्कवादी विचारकों, कार्यकतार्ओं और पत्रकारों के लिए खतरा बना रहेगा।
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इस बीच शरद पवार की इस टिप्पणी पर राजनीति भी शुरू हो गई। बयान की निंदा करते हुए बीजेपी विधायक अतुल भातलकर ने कहा कि एनसीपी नेता यह भूल गए कि उस समय राज्य में कांग्रेस-एनसीपी की सरकार सत्ता में थी। उन्होंने सवाल उठाया कि "तब मामले की जांच क्यों नहीं की गई? क्या पुलिस ने तब भी वही किया था जो अब (सुशांत मामले में) किया?"
नरेंद्र दाभोलकर की 7वीं पुण्यतिथि के मौके पर पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम में और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कई प्रमुख लोगों, मानवाधिकार और तर्कवादी कार्यकतार्ओं और सामाजिक हस्तियों ने दिवंगत अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता को श्रद्धांजलि अर्पित की।
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