उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में शहीद किसानों की अंतिम अरदास में मंगलवार को जहां भारी तादाद में किसानों ने शिरकत की, वहीं पंजाब में भी आज बड़े पैमाने पर शहीद किसान दिवस मनाया गया। यहां शहीद किसान दिवस 32 किसान जत्थेबंदियों की अगुवाई में मनाया गया। इसके तहत अमृतसर से लेकर मानसा तक सैकड़ों गुरुद्वारों और धार्मिक स्थलों पर अरदास की गई।
पूरे पंजाब में शहरों और कस्बों के साथ-साथ गांवों में भी शहीद दिवस मनाया गया। सूबे में जहां-जहां केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध तथा तथा लखीमपुर खीरी हिंसा के विरोध में किसानों के धरना-प्रदर्शन जारी हैं वहां-वहां भी लखीमपुर हिंसा के शिकार किसानों के लिए अंतिम अरदास की गई और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलियां दी गईं। नितनेम के बाद यह सिलसिला शुरू हुआ।
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किसान जत्थेबंदियों के नेताओं का दावा है कि इसमें राज्य भर के लाखों लोगों ने शिरकत की। बीजेपी नेताओं के घरों के आगे, टोल प्लाजा, अंबानी और अडानी के कारोबारी ठिकानों, रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों, पार्कों और केंद्र सरकार के स्थानीय कार्यालयों के आगे अनिश्चितकालीन धरनों पर बैठे किसानों ने भी अरदास की और लखीमपुर में शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि दी।
इसके बाद आज देर शाम पंजाब के विभिन्न शहरों, कस्बों और गांवों में मोमबत्ती मार्च किये जाएंगे। 32 किसान जत्थेबंदियों ने आह्वान किया है कि हर घर में शहीद किसानों की याद में 5-5 मोमबत्तीयों की रोशनी की जाए और शहीज किसानों को मन से श्रद्धांजलि दी जाए।
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मंगलवार को शहीद किसानों की स्मृति में हुए हर धार्मिक समागम में तमाम समुदायों के लोगों ने हिस्सेदारी की। हर मंच से श्रद्धांजलि के वक्त केंद्र सरकार को जमकर कोसा गया और कहा गया कि वह लखीमपुर के हत्यारे हाथों को बचाने में लगी हुई है। लखीमपुर खीरी के किसानों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा। किसान नेताओं का कहना है कि कत्लेआम में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री की भूमिका स्पष्ट है और इसके बावजूद प्रधानमंत्री मोदी की खामोशी शर्मनाक और निंदनीय है।
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किसान नेताओं का यह भी कहना है कि आज के समागम धार्मिक जरूर थे, लेकिन किसी धर्म या विश्वास के खिलाफ कतई नहीं थे। इसीलिए इनमें हर धर्म के लोगों की पूरी भागीदारी रही। गौरतलब है कि मंगलवार को लखीमपुर खीरी के शहीद किसानों की याद में सूबे में लंगर और शीतल जल की छबीलें लगाई गईं।
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