पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सुमेध सिंह सैनी को 29 साल पुराने अपहरण और हत्या के मामले में उस समय बड़ा झटका लगा, जब पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने आज उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। इस मामले में सैनी ने हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दायर की थीं। पहली याचिका में सैनी ने मामले की पंजाब से बाहर किसी अन्य जांच एजेंसी या सीबीआई से जांच की मांग की है। वहीं दूसरी याचिका में उन्होंने मोहाली की ट्रायल कोर्ट द्वारा एक सितंबर को उनकी अंतरिम जमानत को खारिज किए जाने के खिलाफ दायर की थी।
Published: undefined
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति फतेह दीप सिंह ने मामले में एक दिन पहले अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। हाईकोर्ट की ओर से उनकी अग्रिम जमानत की मांग खारिज होने के बाद सैनी के पास अब सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर करने या पुलिस के समक्ष समर्पण करने का ही विकल्प बचा है। इससे पहले पिछले हफ्ते एसएएस नगर के अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश ने सैनी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। पूर्व डीजीपी ने तब अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
राज्य पुलिस के अनुसार फरार चल रहे सैनी को दिसंबर 1991 में बलवंत सिंह मुल्तानी के अवैध अपहरण, हिरासत और हिरासत में मौत के मामले में अदालत से कोई संरक्षण नहीं मिल सका है।इस मामले में पंजाब पुलिस ने सैनी के सुरक्षा विस्तार को वापस लेने के आरोपों से इनकार किया है, जिसका दावा है कि वह अपने सुरक्षाकर्मियों को पीछे छोड़कर फरार हो गए हैं।
Published: undefined
वहीं, हत्या के मामले में बदले गए अतिरिक्त न्यायिक हत्या के मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) के एक प्रवक्ता ने सैनी की पत्नी के इस आरोप से इनकार किया कि पूर्व डीजीपी की सुरक्षा वापस ले ली गई थी, जिससे उनका जीवन खतरे में पड़ गया। प्रवक्ता ने कहा कि डीजीपी दिनकर गुप्ता को लिखे पत्र में सैनी की पत्नी ने जो दावा किया था, उसके विपरीत, उनकी सुरक्षा में कोई बदलाव नहीं किया गया और सुरक्षा बॉक्स और जैमर वाहन सहित सभी आवश्यक उपकरण पूर्व पुलिस प्रमुख को प्रदान किए गए थे।
प्रवक्ता ने कहा कि इस मामले में तथ्य यह है कि सैनी ने अपनी सुरक्षा को खतरे में डालते हुए पंजाब पुलिस के सुरक्षाकर्मियों और सुरक्षा वाहनों के बिना ही अपने चंडीगढ़ आवास को छोड़ दिया, जिसमें जैमर वाहन भी शामिल है।
Published: undefined
अपहरण का यह मामला 1991 में खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के आतंकवादियों द्वारा सैनी पर एक बम हमले से संबंधित है। उस समय, वह चंडीगढ़ में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) थे। उन्हें उस समय कुछ चोटें आई थीं, मगर वह बच गए थे। हालांकि उस हमले में तीन सुरक्षाकर्मी मारे गए थे।मुल्तानी के लापता होने की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच 2007 में सैनी के खिलाफ शुरू हुई, लेकिन उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई और जांच रोक दी गई।
चंडीगढ़ से सटे एसएएस में सैनी के खिलाफ 7 मई को एक ताजा शिकायत के आधार पर कार्रवाई हुई, जिसमें हत्या के लिए अपहरण, साक्ष्य मिटाने, गलत तरीके से कारावास और आपराधिक साजिश जैसी कई बड़ी धाराएं जोड़ी गई हैं।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined