सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सरकार के कामकाज से संबंधित फर्जी, झूठी या भ्रामक जानकारियों के प्रसार को रोकने के लिए प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) के तहत फैक्ट चेकिंग यूनिट (एफसीयू) की स्थापना के लिए केंद्र की मोदी सरकार द्वारा जारी अधिसूचना पर रोक लगा दी।
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भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया कि यह रोक तब तक लागू रहेगी जब तक बॉम्बे हाई कोर्ट सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में पेश संशोधनों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला नहीं सुना देता।
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इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने बुधवार को सोशल मीडिया सहित अन्य प्लेटफॉर्म पर दुष्प्रचार अभियानों की सक्रिय निगरानी, पता लगाने और उनका मुकाबला करके फर्जी खबरों की चुनौती से निपटने के लिए पीआईबी फैक्ट चेकिंग यूनिट को अधिसूचित किया था। सरकार ने कहा कि एफसीयू अपनी नीतियों, पहलों और योजनाओं पर गलत सूचना का मुकाबला या तो स्वत: संज्ञान से करेगा या व्हाट्सएप, ईमेल और एक्स सहित विभिन्न तरीकों से शिकायतों के माध्यम से करेगा।
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बॉम्बे हाई कोर्ट के टाई ब्रेकर जज जस्टिस ए.एस. चांदुरकर ने 11 मार्च को पारित एक आदेश में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के उस बयान का लाभ देने से इनकार कर दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि फैसला आने तक एफसीयू को अधिसूचित नहीं किया जाएगा। इससे पहले 31 जनवरी को हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने संशोधित आईटी नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर खंडित फैसला सुनाया था जिसके बाद टाई ब्रेकर जज की नियुक्ति की गई थी।
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