बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। एनडीए के घटक दल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्यूलर (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बयान से राज्य की सियासत एक बार फिर गर्म हो गई है। मांझी के सुर बगावती नजर आने लगे हैं। दरअसल, मांझी ने अपनी पार्टी के गया में आयोजित पार्टी की आम बैठक में एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी हर हाल में गया सीट से चुनाव लड़ेगी।
मांझी के इस ऐलान ने बिहार का सियासी पारा बढ़ा दिया है। माना जा रहा है कि मांझी जल्द ही एनडीए को अलविदा कह सकते हैं। हालांकि, उनकी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अजय यादव ने एनडीए से अलग होने की बातों का खंडन किया है, लेकिन उनके बयान से भी उनकी पार्टी के गठबंधन से अलग होने का कहीं ना कहीं इशारा जरूर मिलता है। अजय यादव ने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने एनडीए से अलग होने की घोषणा तो नहीं की है, लेकिन पार्टी 2019 लोकसभा चुनाव में गया सीट पर अपनी दावेदारी जरूर पेश करेगी। उन्होंने कहा, “उनकी पार्टी हर हाल में गया सीट से लोकसभा चुनाव लड़ेगी।” अगर लोकसभा चुनाव में एनडीए ने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को गया सीट नहीं दी, तो ऐसी हालत में पार्टी का क्या स्टैंड होगा, इस सवाल के जवाब में हम के प्रवक्ता ने कहा कि फिलहाल एनडीए से सीट देने या ना देने की कोई बात नहीं हुई है, लेकिन अगर गया सीट उन्हें नहीं दी गई तो उनका रास्ता एनडीए से अलग होगा।
दूसरी तरफ, मांझी के बयान से विपक्ष खुश नजर आ रहा है। विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रवक्ता चितरंजन गगन ने मांझी के बयान को एनडीए के अंदर मची भगदड़ करार दिया है। उन्होंने कहा, “एनडीए में सब कुछ ठीक नहीं है और वहां अफरा-तफरी की स्थिति है। घटक दल और उनके विधायक बड़ी संख्या में इधर-उधर जाने के मूड में हैं और वे केवल मौके की तलाश कर रहे हैं।” पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के आरजेडी से हाथ मिलाने की संभावना पर चितरंजन गगन ने कहा कि जो कोई भी सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए साथ आना चाहता है, उन सबका स्वागत है।
बता दें कि कुछ दिनों पहले ही आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद ने जीतन राम मांझी के पार्टी के संपर्क में होने की बात कही थी। रघुवंश प्रसाद ने एनडीए के एक और सहयोगी दल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को लेकर भी ऐसा ही बयान दिया था। शुरुआत में मांझी और कुशवाहा दोनों ने ही रघुवंश प्रसाद के बयान का खंडन किया था, लेकिन दूसरे ही दिन कुशवाहा की शिक्षा को लेकर बनाई गई मानव श्रृंखला में राजद के वरिष्ठ नेता शामिल हो गए। ऐसे में मांझी का बागी सुर अख्तियार करना भी कई तरह के इशारे दे रहा है।
वहीं, एनडीए के मुख्य घटक बीजेपी ने मांझी के बयान को उनकी पार्टी की चुनावी तैयारी मात्र करार दिया है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय टाइगर ने माझी के एनडीए से अलग होने के सवाल को महज अटकलबाजी करार दिया। टाइगर ने कहा कि लोकसभा चुनाव में अभी डेढ़ वर्ष का समय है, ऐसे में इस बयान को मांझी के एन डी ए से अलग होने की लाइन से नहीं जोड़कर देखा जा सकता है।
गौतलब है कि पिछले दिनों जीतन राम मांझी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की था, जिसके बाद कई तरह के कयास शुरू हो गए थे। आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने तो यहां तक कह दिया था जीतन राम मांझी मौसम वैज्ञानिक न बनें, बल्कि यह देखें कि उनके विचारों को कहां सम्मान मिल रहा है। गया में आयोजित पार्टी की बैठक में मांझी ने नीतीश कुमार के खिलाफ भी जमकर बोला। उन्होंने कहा, "नीतीश ने पहले हमें दूध दिया और नींबू की तरह निचोड़ दिया।" मांझी का यह बयान भी दिखाता है कि बिहार एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। जिसका साफ मतलब है कि एनडीए के लिए किसी भी वक्त बिहार से बुरी खबर आ सकती है।
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