आखिर वही हुआ जिसका अंदेशा जताया जा रहा था। भारतीय जनता पार्टी और उसकी गठबंधन सहयोगी जन नायक जनता पार्टी (जेजेपी) के बीच की गांठ ढीली पड़ गई है। भारतीय जनता पार्टी ने आज ऐलान कर दिया कि वह राज्य के 46 शहरों में होने वाले निकाय चुनाव अकेले लड़ेगी। इस ऐलान के साथ ही यह तय हो गया कि बीजेपी ने हरियाणा सरकार में अपनी सहयोगी जननायक जनता पार्टी से किनारा कर लिया है। बीजेपी ने यह फैसला हिसार में दो दिन से चल रही प्रदेश स्तरीय बैठक में लिया।
Published: undefined
हरियाणा के सत्ता गलियारे में इस बात की सुगबुगाहट काफी समय से थी। यही वजह थी कि दुष्यंत चौटाला की जन नायक जनता पार्टी दबाव में दिख रही थी। आखिर बीजेपी के यह फैसला करने के बाद जेजेपी और हरियाणा सरकार में शामिल डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, जो हमेशा सवाल करने पर निकाय चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़ने की बात करते थे।
हिसार में दो दिन से चल रही प्रदेश स्तरीय मीटिंग में मंथन के बाद शनिवार शाम को हरियाणा बीजेपी अध्यक्ष ओपी धनखड़ ने घोषणा की कि पार्टी निकाय चुनाव गठबंधन की जगह अकेले लड़ेगी। धनखड़ ने साथ ही यह भी ऐलान किया कि बीजेपी नगर परिषदों में पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ेगी। लेकिन नगर पालिकाओं में पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ने का फैसला संबंधित जिले की पार्टी इकाई पर छोड़ दिया गया है। निकाय चुनाव को लेकर हरियाणा बीजेपीा की बैठक 1 जून को पंचकूला में फिर होगी, जिसमें आगे की रणनीति बनाई जाएगी
Published: undefined
हिसार में दो दिन से चल रही बीजेपी की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक शनिवार शाम को खत्म हो गई। जीजेयू के चौधरी रणबीर सिंह ऑडिटोरियम में हुई इस बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की मौजूदगी में बीजेपी के तमाम नेताओं ने निकाय चुनाव समेत विभिन्न मुद्दों पर मंथन किया। बैठक में पार्टी कार्यक्रमों की समीक्षा के अलावा नए कार्यक्रमों की रूपरेखा पर भी चर्चा हुई।
शनिवार दोपहर मीटिंग का एक सेशन पूरा होने के बाद बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ पत्रकारों के सामने आए। उन्होंने कहा कि निकाय चुनाव बीजेपी के लिए अहम मुद्दा है और इन चुनाव में बीजेपी के सामने कोई दूसरी पार्टी नहीं टिकेगी। प्रदेश में सभी निकाय चुनाव जीतकर ट्रिपल इंजन वाली सरकार बनाने पर चर्चा चल रही है। बीजेपी ही एकमात्र राजनीतिक पार्टी है, जो संगठनात्मक रूप से अन्य पार्टियों से न केवल मजबूत है, बल्कि अनुशासित भी है।
Published: undefined
पिछले ढाई साल से जो बात कही जा रही थी कि बीजेपी और जेजेपी के बीच सब कुछ ठीक नहीं है। वह बात आखिरकार सामने आ ही गई। बीजेपी के अंदर यह बात बड़ी शिद्दत से महसूस की जा रही थी कि पार्टी को अपने दम पर राज्य में पैर जमाने चाहिए। यह गठबंधन तो मजबूरी का है। अंदेशा यह भी है कि आगे का रास्ता बीजेपी अब अकले ही तय करने का फैसला भी ले सकती है।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined