पूरे देश में 16 जनवरी से कोरोना वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत होने जा रही है। सरकार ने पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा भारत में निर्मित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोवीशील्ड और भारत बायोटेक की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सिन को मंजूरी दी है। सरकार ने पहले चरण में हेल्थकेयर वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन देने के लिए सीरम इंस्टीट्यूट को 1.1 करोड़ कोवीशील्ड और 55 लाख कोवैक्सीन का ऑर्डर दिया है।
लेकिन जैसे-जैसे वैक्सीनेशन अभियान की तारीख नजदीक आती जा रही है, वैसे-वैसे वैक्सीन को लेकर तरह-तरह की बातें भी उठ रही हैं। लोगों के मन में वैक्सीन की सुरक्षा समेत असर को लेकर कई तरह के सवाल घुमड़ रहे हैं। इसी को देखते हुए वैक्सीनेशन से पहले सीरम इंस्टीट्यूट ने एक फैक्टशीट जारी कर ऐसे सवालों का जवाब देने की कोशिश की है। सीरम ने फैक्टशीट में कोविशील्ड वैक्सीन के फायदे और सामान्य साइड इफेक्ट्स के बारे में बताया है, ताकि इसे लेकर लोगों के मन में जो भ्रम है वो दूर हो सके।
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फैक्टशीट में कंपनी ने सबसे पहले कोविड-19 के बारे में विस्तार से बताया है। सीरम ने बताया है कि कोविड-19 एक रोग है, जो Sars-Cov2 नामक कोरोना वायरस से होता है। यह एक नया कोरोना वायरस है, जिसे पहले नहीं देखा गया। यह श्वसन प्रणाली से जुड़ा रोग है, जो अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। वायरस के संपर्क में आने के 2 से 14 दिन के भीतर लक्षण नजर आते हैं, जिसमें बुखार या कंपकंपी, खांसी, सांस फूलना, थकान, मांसपेशियों या शरीर में दर्द, सिरदर्द, स्वाद या गंध महसूस न होना, गले में खराश, बंद नाक या बहती नाक, उल्टी-दस्त जैसे लक्षण शामिल हैं।
इसके बाद कंपनी ने बताया कि कोवीशील्ड वैक्सीन क्या है? कंपनी ने बताया कि यह कोरोना वायरस को रोकने के लिए बनी एक वैक्सीन है, जिसे भारत के ड्रग रेगुलेटर डीसीजीआई ने 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को लगाने की सीमित मंजूरी दी है।
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सीरम ने कोवीशील्ड वैक्सीन के कंपोनेंट के बारे में विस्तृत जानकारी दी है। सीरम ने कहा है कि इस वैक्सीन में एल-हिस्टिडिन, एल-हिस्टिडिन हाइड्रोक्लोराइड मोनोहाइड्रेट, मैग्नेशियम क्लोराइड हेक्जाहाइड्रेट, पॉलिसॉर्बेट 80, इथेनॉल, सुक्रोज, सोडियम क्लोराइड, डाइसोडियम एडिटेट डाइहाइड्रेट और इंजेक्शन के लिए पानी शामिल है।
इसके बाद सीरम ने कहा है कि कोवीशील्ड लगवाने से पहले आपको डॉक्टर से परामर्श लेना होगा और आपको डॉक्टर को निम्नलिखित सवालों के जवाब देने होंगे।
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सीरम ने बताया है कि किन लोगों को कोवीशील्ड वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए। सीरम ने कहा है कि निम्न दो स्थितियों में किसी को कोवीशील्ड वैक्सीन नहीं लगवानी है।
सीरम ने बताया है कि कोवीशील्ड वैक्सीन कैसे दी जाती है। सीरम के फैक्टशीट के अनुसार कोवीशील्ड वैक्सीन केवल मांसपेशी में इंजेक्शन (इंट्रामस्कुलर) के रूप में दी जाएगी। यह शरीर के डेल्टॉइड नामक मांसपेशी में दी जाएगी। कंपनी ने बताया कि इस वैक्सीन के कोर्स में 0.5 मिली के दो डोज हैं।
सीरम ने वैक्सीन के डोज को लेकर भी उठ रहे सवालों का जवाब दिया है। सीरम के अनुसार पहला डोज लगने के बाद दूसरे डोज में 4 से 6 हफ्ते का अंतर रखना चाहिए। हालांकि विदेश में हुई स्टडी बताती है कि डोज में 12 हफ्ते तक का अंतर रख सकते हैं। साथ ही सीरम ने बताया है कि अगर आप दूसरा डोज लेना भूल जाते हैं तो क्या होगा। सीरम के अनुसार अगर आप सही समय पर दूसरा डोज लेना भूल जाते हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह लें। लेकिन जरूरी है कि आप समय से दूसरा डोज लेने जाएं।
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कोवीशील्ड लगाने से क्या होगा?
सीरम इंस्टीट्यूट ने बताया है कि क्लीनिकल ट्रायल्स में सामने आया है कि 4 से 12 हफ्ते के अंतर से दो डोज लेने पर कोरोना वायरस से बचा जा सकता है। कोवीशील्ड के दूसरे डोज के 4 हफ्ते के बाद शरीर में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बनती है। हालांकि कंपनी ने ये भी कहा है कि यह सुरक्षा कितने दिन के लिए मिलेगी, इसके बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं है।
अंत में सीरम इंस्टीट्यूट ने कोवीशील्ड से जुड़े जोखिमों का भी जिक्र किया है। सीरम ने कहा है कि कोवीशील्ड वैक्सीन के कुछ साइड इफेक्ट जो अब तक रिपोर्ट हुए हैं, वे इस तरह हैं-
1. सामान्य लक्षण (10 में से 1 व्यक्ति में)
2. असामान्य लक्षण (100 में से 1 व्यक्ति में)
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इसके अलावा सीरम ने कहा है कि वैक्सीन के गंभीर और अप्रत्याशित दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। कोवीशील्ड वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल्स अब भी जारी हैं। अगर कोई गंभीर लक्षण दिखता है तो सीरम ने फौरन नजदीकी अस्पताल से संपर्क करने की सलाह दी है। सीरम इंस्टीट्यूट ने भी 24X7 कॉल सेंटर बनाया है- 1800 1200124 जिस पर साइड इफेक्ट्स को लेकर बात कर सकते हैं।
अंत में सीरम इंस्टीट्यूट ने कहा है कि कोवीशील्ड वैक्सीन लेना या नहीं लेना आपकी मर्जी पर निर्भर करता है। आप इस संबंध में अपने डॉक्टर से परामर्श ले सकते हैं।
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