मुजफ्फरनगर के प्रभावशाली गांव सौरम में हुई पंचायत में यह तय किया गया है। पंचायत में हुए निर्णय के मुताबिक आज खाप चौधरी किसानों के गाजीपुर गेट पर चल रहे धरने पर पहुँचगे और सरकार पर इस कानून को वापस करने का दबाव बनाएंगे। इन चौधरियों में लटियान खाप के वीरेंद्र सिंह, बत्तीसा खाप से बाबा सूरजमल, देश खाप से बाबा सुरेंद्र सिंह समेत सभी चौधरी होंगे। जानकारी के मुताबिक ये चौधरी पहले बड़ौत पहुँचगे वहां इकठ्ठा होंगे और उसके बाद वहां से गाजीपुर गेट पहुँचगे।
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत कह रहे हैं कि "यह सरकार पूंजीपतियों के हाथों में खेल रहे हैं। किसान कृषि कानूनों की वापसी तक पीछे नही हटेंगे। सरकार किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन की अनदेखी नही कर सकती। वो किसानों को बदनाम कर रही है और किसान उन्हें उनके इरादों में कभी कामयाब नही होने देंगे।"
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मेरठ के रामराज इलाके में भी किसान दिल्ली जाने की तैयारी कर रहे हैं। यहां बड़े पैमाने पर राशन और लिहाफ़ गद्दे इकट्ठा किए जा रहा है। किसान अमरीक सिंह कहते है कि "यह बच्चों के भविष्य का सवाल है। हमारी मिट्टी की बात है। कानून वापस लेने तक कोई समझौता नही होगा।" उधर उत्तराखंड के पुरकाजी के खादर इलाके के किसानों में भी आंदोलन को लेकर हलचल है। यहां के किसान नवीन राठी और जहीर फारूकी के नेतृत्व में भारी संख्या में ट्रैक्टर और कार से दिल्ली राशन लेकर जा रहे हैं।
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रालोद के जिलाध्यक्ष अजीत राठी ने गांव गांव हो रही इन कई पंचायतों में शिरकत की है वो बताते हैं कि "किसानों में अत्यधिक रोष है। खासकर सरकारी रवैया को लेकर वो नाराज है । किसान यह समझ रहा है कि सरकार पूंजीपतियों के इशारे पर चल रही है। गांव में सब इस बात को समझ रहे हैं। सबसे ज्यादा बेचैनी छोटे और मंझले किसानों में है। वो जमीन को मां की तरह प्यार करते हैं।मुद्दा सिर्फ रोटी का नही है बल्कि आत्मसम्मान का भी हो गया है।"
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किसानों की इस हलचल के जवाब में बीजेपी ने भी गांव गांव जाकर किसानों को बिल समझाने की बात कही है हालांकि उससे पहले समाजवादी पार्टी के लोग गांव गांव पहुंचने लगे हैं। सपा नेता प्रमोद त्यागी बताते हैं कि हमने अपने सभी कार्यकर्ताओं को गाँव गाँव घूमकर इस बिल की सच्चाई लोगों के सामने रखने के लिए कहा है। यह बिल किसानों का विरोधी है और पूरी तरह से किसानों के साथ है।
मुंडभर गांव पहुंचे राजीव बालियान बताते हैं कि वो किसानों को जागरूक कर रहे हैं मगर वो इस कानून के बारे पहले से ही हमसे ज्यादा जानते हैं। वो कह रहे हैं इस कानून की वापसी से कम कोई बात नही होनी चाहिए।
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