बिहार दर्शन योजना के तहत राज्य के कई हिस्सों से हर दिन स्कूली बच्चे राजधानी पटना में घूमने और देखने आ रहे हैं। इस दौरान एक ऐसा वाक्या हुआ कि दर्शन योजना को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया। सूबे के चंपारण जिले से पटना घूमने आये सरकारी स्कूल के बच्चों को चिड़ियाघर के बाहर ही फुटपाथ पर सुलाने का मामला सामने आया है।
खबरों के मुताबिक, पूर्वी चंपारण कोटवा प्रखंड के राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय मच्छरगावां के बच्चों को स्कूल प्रबंधन द्वारा मुख्यमंत्री दर्शन योजना के तहत पटना घुमाने लाया गया था। इस दौरान बच्चों को पटना के अन्य जगहों के अलावा चिड़ियाघर भी घुमाया गया। चिड़ियाघर घुमाने के बाद जब देर हो गई तो स्कूल के छोटे-छोटे बच्चों को चिड़ियाघर के बाहर ही रात भर सड़क के किनारे फुटपाथ पर ही सुला दिया गया। यह भी कहा जा रहा है कि बच्चों को वापस उनके घर इसलिए नहीं भेजा जा सका क्योंकि उनको लाने वाली बस खराब हो गई थी। जिस सड़क के किनारे बच्चों को सुलाया गया वो पटना का सबसे व्यस्ततम मार्ग है और आए दिन वहां सड़क हादसे होते रहते हैं।
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सबसे बड़ी बात तो यह है कि जिस इलाके में ये बच्चे सड़क के किनारे रात गुजारने को मजबूर हो गए वो हाई प्रोफाइल इलाका है। लेकिन उन बच्चों पर न तो पटना के किसी सरकारी अधिकारी और न ही पेट्रोलिंग में लगी पुलिस टीम की नजर पड़ी। हैरानी की बात यह है कि लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर राजभवन और कुछ ही दूरी पर मुख्यमंत्री का आवास भी है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या किसी ने भी इन बच्चों को सड़क किनारे सोते हुए नहीं देखा।
बता दें कि मुख्यमंत्री दर्शन योजना के तहत बिहार के सरकारी स्कूल के बच्चों को राज्य के ऐतिहासिक और नामचीन जगहों पर घुमाया जाता है।
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