उत्तर प्रदेश के गांवों में स्वास्थ्य सेवाएं राम भरोसे हैं और इन्हें सुधारने के लिए सरकार को एक महीने के भीतर हर छोटे शहर में 20 एंबुलेंस, हर गांव में आईसीयू सुविधा वाली 2 ऐंबुलेंस जरूर रखने को कहा था।
हाईकोर्ट ने यह आदेश 17 मई को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते सुनाया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि कोरोना काल में उत्तर प्रदेश के गांवो, कस्बों और छोटे शहरों में स्वास्थ्य सेवाएं राम भरोसे हैं। जस्टिस अजीत कुमार और और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की बेंच ने मेरठ के एक अस्पताल में एक आइसोलेशन वार्ड में भर्ती संतोष कुमार (64) की मौत को ध्यान में रखते हुए यह टिप्पणी की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस आदेश पर रोक लगा दी।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्टों को ऐसे आदेश देने से बचना चाहिए, जिन्हें पूरा करना असंभव हो। जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने ये रोक उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील के बाद लगाई।
सुनवाई के दौरान हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश वकील तुषार मेहता ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश अच्छी नीयत से दिया गया है, लेकिन इन्हें लागू करने में मुश्किल है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि एक महीने के भीतर राज्य के हर गांव में ICU सुविधा के साथ 2 एंबुलेंस दी जाएं। उत्तर प्रदेश में करीब 97 हजार गांव हैं। एक महीने के भीतर इस आदेश को लागू करना मुश्किल है।
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