अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में एक नया मोड़ आ गया है। एक अहम घटनाक्रम में भास्कर गायकवाड़ ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका डालने के लिए दिल्ली आए हैं क्योंकि उनकी एफआईआर मराठी में थी और उसका सही अनुवाद नहीं हुआ। उनकी ही एफआईआर के बाद इस कानून के खिलाफ सारा मामला शुरू हुआ था और इसे ही आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था। इस मामले की सुनवाई फिर से 3 मई को सुप्रीम कोर्ट करने जा रहा है।
भास्कर गायकवाड़ ने नवजीवन को बताया कि वह इस बात से बहुत नाराज है कि उनकी एक साधारण सी एफआईआर को आधार बनाकर पूरे देश में इतना बड़ा बवाल बना दिया गया। उनका कहना है कि उनकी एफआईआर के तीन पैराग्राफ तो अनुवाद ही नहीं किए गए और कई जगह शब्द बदल दिए गए, जिसकी वजह से पूरी एफआईआर का अर्थ ही बदल गया।
भास्कर गायकवाड़ पूणे के इंजीनियरिंग कॉलेज में स्टोर मैनेजर के तौर पर काम करते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि डायरेक्टॉरेट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन, महाराष्ट्र स्टेट ने जब सुप्रीम कोर्ट में याचिका बढ़ाई तो अनुवाद वाली कॉपी में एक लाइन भी जोड़ दी, जिसने पर्याप्त भ्रम पैदा किया।
दूसरी तरफ भास्कर गायकवाड़ की तरफ से आज वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने फैसले को वापस लेने के लिए रिकॉल याचिका दाखिल की है। इसकी सुनवाई भी अब बाकी सारी याचिकाओं के साथ 3 मई को सुप्रीम कोर्ट करेगी।
Published: 01 May 2018, 7:15 PM IST
गौरतलब है कि एससी-एसटी एक्ट में संशोधन करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से पूरे देश में दलितों का आंदोलन जारी है। 2 अप्रैल को इसके खिलाफ दलितों ने ऐतिहासिक भारत बंद भी किया था।
आज भी इस फैसले के खिलाफ देश के करीब 60 छोटे-बड़े शहरों में दलित-आदिवासी संगठनों ने प्रतिरोध दिवस मनाया। दिल्ली में संसद मार्ग में नेशनल दलित मूवमेंट फॉर जस्टिस ने इसे लेकर सभा की। इस सभा को सांसद डी राजा, सांसद तारिक अनवर, पूर्व सांसद प्रदीप टमटा, टी थीरूमावलावन, पूर्व विधायक रवि कुमार, माकपा नेता बृंदा करात ने संबोधित किया। इस मौके पर भास्कर गायकवाड़ ने भी अपनी बात रखी और ऐलान किया कि वे एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका डालने जा रहे हैं।
नेशनल दलित मूवमेंट फॉर जस्टिस की राष्ट्रीय संयोजक अबिरामी ने नवजीवन को बताया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला गलत है और इसे लेकर दलितों-आदिवासियों में बहुत आक्रोश है।
Published: 01 May 2018, 7:15 PM IST
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Published: 01 May 2018, 7:15 PM IST