सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शाहीन बाग इलाके में एमसीडी के अतिक्रमण विरोधी अभियान के खिलाफ दायर याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया। उच्चतम न्यायालय ने CPI (M) और अन्य याचिकाकर्ताओं को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा। साउथ MCD में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट में आज दोपहर में सुनवाई हुई। कोर्ट ने पूछा कि CPIM पार्टी इस मामले में याचिका क्यों दायर कर रही है। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई पीड़ित पक्ष हमारे पास आता है तो समझ आता है। क्या कोई पीड़ित नहीं है?
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कोर्ट के इस सवाल पर वकील पी सुरेंद्रनाथ ने कहा कि एक याचिका रेहड़ीवालों के एसोसिएशन की भी है। आगे जस्टिस राव ने कहा कि आपको हाईकोर्ट जाना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि जहांगीरपुरी में हम लोगों ने इसलिए दखल दी क्योंकि इमारतों को गिराया जा रहा था। रेहड़ी पटरी वाले सड़क पर सामान बेचते हैं। अगर दुकानों को नुकसान हो रहा है तो उनको कोर्ट आना चाहिए था। रेहड़ी पटरी वाले क्यों आए?
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बता दें कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की दिल्ली इकाई और हॉकर्स यूनियन ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम द्वारा अतिक्रमण-विरोधी अभियान की आड़ में इमारतों को गिराये जाने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और इसे ‘‘प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों, विधियों और संविधान का उल्लंघन’’ करार दिया था।
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि वे अनधिकृत कब्जाधारी या अतिक्रमणकर्ता नहीं हैं, जैसा कि दक्षिण दिल्ली नगर निगम और अन्य ने आरोप लगाये हैं। याचिकाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की और साफ कर दिया कि कोर्ट इन पर आगे सुनवाई नहीं करेगा।
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