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मधुमिता हत्याकांड में दोषी अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई पर SC ने नहीं लगाई रोक, योगी सरकार को भेजा नोटिस

मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, कोर्ट ने रिहाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, हालांकि सुनावाई के दौरान कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस भी जारी किया है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में दोषी करार दिए जाने के बाद उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमिता त्रिपाठी की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने भी रोक लगाने से इनकार कर दिया है। आपको बता दें, मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, हालांकि सुनावाई के दौरान कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस भी जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को अगले 8 हफ्ते के भीतर इस नोटिस पर जवाब देना होगा।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला ने बयान दिया कि मैं सभी से अपील करती हूं कि त्रिपाठी दंपति की रिहाई रोकी जाए। कई आरटीआई आवेदन में यह कहा गया है कि अमरमणि वास्तव में कभी जेल नहीं गए. निधि ने कहा कि अगर बाहर आने पर मेरी हत्या कर दी तो इस केस में पैरवी करने वाला कोई नहीं बचेगा।

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बता दें कि करीब 20 वर्ष पहले राजधानी की पेपरमिल कॉलोनी में रहने वाली कवियत्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के मामले की जांच सीबीआई ने की थी। सीबीआई ने अपनी जांच में अमरमणि और मधुमणि को दोषी करार देते हुए अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। बाद में इस मामले का मुकदमा देहरादून स्थानांतरित कर दिया गया। दोनों जेल में बीते 20 वर्ष एक माह और 19 दिन से थे। उनकी आयु, जेल में बिताई गई सजा की अवधि और अच्छे जेल आचरण को देख कर बाकी बची हुई सजा को माफ कर दिया गया है।

18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई का आदेश पारित किया। इसमें लिखा है कि उनकी उम्र 66 साल होने, करीब 20 साल तक जेल में रहने और अच्छे आचरण को देखते हुए किसी अन्य वाद में शामिल न हो तो रिहाई कर दी जाए। जिला मजिस्ट्रेट गोरखपुर की तरफ से आदेश जारी हुआ कि दो जमानतें और उतनी ही धनराशि का एक निजी मुचलका देने पर उन्हें जेल से रिहा कर दिया जाए। इसके बाद अब शासन की ओर से अमरमणि की रिहाई का आदेश जारी हो गया।

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गौरतलब है कि लखनऊ में निशातगंज स्थित पेपर मिल कॉलोनी में 9 मई 2003 को मशहूर कवियत्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हुई हत्या से तत्कालीन बसपा सरकार में हड़कंप मच गया था। चंद मिनटों में मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों को मधुमिता और अमरमणि के प्रेम प्रसंग के बारे में नौकर देशराज ने जानकारी दी, तो तत्काल शासन के अधिकारियों को सूचित किया गया। दरअसल अमरमणि बसपा सरकार के कद्दावर मंत्रियों में शुमार थे। इस हत्याकांड के बाद देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2007 को अमरमणि, उनकी पत्नी मधुमणि, भतीजा रोहित चतुर्वेदी और शूटर संतोष राय को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

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