हालात

SBI इलेक्टोरल बॉन्ड का विवरण देने के लिए अभी तैयार नहीं, सुप्रीम कोर्ट से मांगी 30 जून तक की मोहलत

इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को 2018 में लाया गया था। हालांकि, योजना शुरू होने के बाद से ही सवालों के घेरे में थी। अब चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दे दिया है तो चर्चा है कि सरकार अब इसका विकल्प तलाश रही है।

SBI ने इलेक्टोरल बॉन्ड का विवरण देने के लिए सुप्रीम कोर्ट से मांगी 30 जून तक की मोहलत
SBI ने इलेक्टोरल बॉन्ड का विवरण देने के लिए सुप्रीम कोर्ट से मांगी 30 जून तक की मोहलत फोटोः सांकेतिक

भारतीय स्टेट बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनाव आयोग को चुनावी बॉन्ड का विवरण देने के लिए डेडलाइन को बढ़ाकर 30 जून 2024 तक का समय देने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को 'असंवैधानिक' करार देते हुए राजनीतिक पार्टियों को इससे मिलने वाले चंदे के बारे में एसबीआई को जानकारी साझा करने का निर्देश दिया था। इसके लिए कोर्ट ने बैंक को 6 मार्च 2024 तक का समय दिया था। इसी समयसीमा को बढ़ाने की मांग करते हुए अब एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

Published: undefined

सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में एसबीआई ने कहा कि इस कोर्ट ने अपने फैसले में अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 तक इलेक्टोरल बॉन्ड के दाता की जानकारी सार्वजनिक करने का निर्देश दिया है। एसबीआई ने कहा कि इस समयकाल में 22,217 चुनावी बॉन्ड का उपयोग विभिन्न राजनीतिक दलों को दान देने के लिए किया गया था। बैंक ने आगे कहा कि प्राप्तकर्ता द्वारा भुनाए गए बॉन्ड अधिकृत ब्रांच द्वारा सीलबंद लिफाफे में मुंबई के मुख्य ब्रांच में जमा किए गए थे।

Published: undefined

एसबीआई ने अपनी याचिका में आगे कहा कि दो अलग-अलग सूचना साइलो मौजूद होने के कारण कुल 44,434 सूचना सेटों को डिकोड, संकलित और उनकी तुलना करनी होगी। इसलिए कोर्ट से सम्मानपूर्वक आग्रह है कि कोर्ट द्वारा 15 फरवरी 2024 के फैसले में तय की गई तीन सप्ताह की समयसीमा इस पूरी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसे में आग्रह है कि एसबीआई को कोर्ट के फैसले का अनुपालन करने के लिए माननीय न्यायालय द्वारा समयसीमा का विस्तार दिया जाए।

Published: undefined

इससे पहले 15 फरवरी के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने चुनावी बॉन्ड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाते हुए इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि ये संविधान के तहत सूचना के अधिकार, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। साथ ही कोर्ट ने एसबीआई को निर्देश दिया था कि वो खरीदे गए सभी इलेक्टोरल बॉन्ड का डाटा चुनाव आयोग के साथ साझा करे। 12 अप्रैल, 2019 से अब तक बॉन्ड खरीदने की तारीख, खरीदने वाले का नाम, उसकी वैल्यू और किस राजनीतिक दल ने उस बॉन्ड को भुनाया है, जैसी सभी जानकारी चुनाव आयोग के साथ साझा करना होगा।

Published: undefined

बता दें कि चुनावी बॉन्ड योजना शुरू होने के बाद से ही सवालों के घेरे में थी। इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को 2018 में लाया गया था। हालांकि, 2019 में ही इसकी वैधता को को चुनौती देते हुए तीन याचिकाकर्ताओं ने योजना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। वहीं, केंद्र ने योजना का बचाव करते हुए कहा था कि इससे सिर्फ वैध धन ही राजनीतिक पार्टियों को मिल रहा है। सरकार ने गोपनीयता पर भी बल दिया था। हालांकि अब जब सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दे दिया है तो चर्चा है कि सरकार इसका विकल्प तलाश रही है।

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined

  • छत्तीसगढ़: मेहनत हमने की और पीठ ये थपथपा रहे हैं, पूर्व सीएम भूपेश बघेल का सरकार पर निशाना

  • ,
  • महाकुम्भ में टेंट में हीटर, ब्लोवर और इमर्सन रॉड के उपयोग पर लगा पूर्ण प्रतिबंध, सुरक्षित बनाने के लिए फैसला

  • ,
  • बड़ी खबर LIVE: राहुल गांधी ने मोदी-अडानी संबंध पर फिर हमला किया, कहा- यह भ्रष्टाचार का बेहद खतरनाक खेल

  • ,
  • विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले कांग्रेस ने महाराष्ट्र और झारखंड में नियुक्त किए पर्यवेक्षक, किसको मिली जिम्मेदारी?

  • ,
  • दुनियाः लेबनान में इजरायली हवाई हमलों में 47 की मौत, 22 घायल और ट्रंप ने पाम बॉन्डी को अटॉर्नी जनरल नामित किया