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क्या जेएनयू में पढ़ाए जाएंगे सावरकर के विचार? विद्यार्थी परिषद ने कुलपति को सौंपा सावरकर केंद्र का प्रस्ताव 

हिंदू विचारकर सावरकर के नाम पर जेएनयू में एक अध्ययन केंद्र स्थापित करने की कोशिशें हो रही हैं। इस सिलसिले में एक प्रस्ताव कुलपति को सौंपा गया है। लेकिन फिलहाल विश्वविद्यालय  प्रशासन ने इससे इनकार किया है।

मई 2014 में सावरकर के चित्र का माल्यार्पण करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Photo : Getty Images)
मई 2014 में सावरकर के चित्र का माल्यार्पण करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Photo : Getty Images) 

देश के प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के रूप पर एक और हमला करने की तैयारी की जा रही है। संघ की छात्र शाखा विद्यार्थी परिषद और सावरकर राष्ट्रीय स्मारक ने जेएनयू में सावरकर अध्ययन केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है।

स्वतंत्रवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्यकारी अध्यक्ष रंजीत सावरकर ने नेशनल हेरल्ड को बताया कि जेएनयू में सावरकर अध्ययन केंद्र की स्थापना का प्रस्ताव पिछले महीने (14 मार्च को) कुलपति को सौंपा जा चुका है और उस पर विचार-विमर्श हो रहा है।

लेकिन, जेएनयू प्रशासन ऐसे किसी प्रस्ताव से फिलहाल इनकार कर रहा है। नेशनल हेरल्ड ने जेएनयू कुलपति जगदीश कुमार से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने फोन का जवाब नहीं दिया।

वहीं जेएनयू के कुलसचिव प्रमोद कुमार ऐसे किसी भी प्रस्ताव से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि, “हमें सावरकर के नाम पर कोई केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव नहीं मिला है। जहां तक विद्यार्थी परिषद का सवाल है, एक छात्र संगठन होने के नेते वे कोई प्रस्ताव देने के लिए स्वतंत्र हैं।”

इस बारे में जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष एन साई बालाजी ने इस मुद्दे को बहुत हल्के में लिया। उन्होंने कहा कि किसी भी (विद्यार्थी परिषद और बीजेपी सरकार या कोई अन्य दक्षिणपंथी संगठन) संगठन की हिम्मत नहीं है कि चुनाव होने तक कोई ऐसा प्रस्ताव सामने लाएं।

वहीं रंजीत सावरकर से जब पूछा गया कि ऐसा केंद्र जेएनयू में ही क्यों लाया गया तो उनका जवाब था कि, “विश्वविद्यालय राष्ट्र विरोधी तत्वों का अभ्यारण्य बन चुका है। टुकड़े-टुकड़े गैंग यहां भारत विरोधी नारे लगाता है। ऐसे में यह विश्वविद्यालय और युवा पीढ़ी के लिए अच्छा होगा कि सावरकर के विचारों को जेएनयू में पढ़ाया जाए।”

रंजीत सावरकर ने दावा किया कि विद्यार्थी परिषद से जुड़े दो छात्र नेताओं सौरभ शर्मा और दुर्गेश ने प्रस्ताव को कुलपति को सौंपा है। अपने दावे को मजबूती देते हुए उन्होंने कहा कि इस दौरान जेएनयू के प्रोफेसर अतुल जौहरी भी उनके साथ थे। गौरतलब है कि अतुल जौहरी विवादास्पद शिक्षक हैं और उन पर यौन शोषण के आरोप हैं।

इस प्रस्ताव का विचार सावरकर राष्ट्रीय स्मारक और विद्यार्थी परिषद ने संयुक्त रूप से सामने रखा है। रंजीत ने दावा किया कि अतुल जौहरी को यह प्रस्ताव बेहद पसंद आया था। रंजीत के मुताबिक सावरकर की विचारधारा को लेकर बहुत सी भ्रांतियां पैदा की गई हैं, जबकि सावरकर एक विचारक थे और उनका धर्म से कुछ लेना देना नहीं था।

गौरतलब है कि बीते कुछ सालों में इस किस्म का अध्ययन केंद्र पुणे विश्वविद्यालय में शुरु किया गया है, लेकिन इसे कुछ समय बाद ही बंद कर दिया गया था।

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