पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाषण देने के बाद जिस विमान से वापस लौट रहे थे, उसे बीच रास्ते में तकनीकी खराबी के चलते वापस करना पड़ा था। यह विमान सऊदी अरब के प्रिंस का था जो उन्होंने इमरान खान को अमेरिका आने जाने के लिए दिया था। लेकिन अब पाकिस्तानी पत्रिका फ्राइडे टाइम्स ने दावा किया है कि विमान में कोई तकनीकी खराबी नहीं आई थी, बल्कि यूएनजीए में इमरान खान के भाषण से सऊदी प्रिंस बेहद नाराज हो गए थे, और इसीलिए उन्होंने अपना विमान वापस बुला लिया था।
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'फ्राइडे टाइम्स' की रिपोर्ट में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र में इमरान खान द्वारा दिए गए भाषण से क्राउन प्रिंस नाराज थे इसीलिए उन्होंने अपना विमान वापस बुलाया। संयुक्त राष्ट्र महासभा में शिरकत के लिए अमेरिका की यात्रा से पहले इमरान खान सऊदी अरब गए थे। सऊदी से इमरान खान व्यावसायिक फ्लाइट से ही न्यूयॉर्क जाने वाले थे, लेकिन सऊदी प्रिंस ने उन्हें मेहमान के तौर पर अपना विशेष विमान मुहैया कराया था। इमरान उसी विमान से वापस लौट रहे थे। लेकिन इसे बीच रास्ते से वापस लौटना पड़ा था।
पत्रिका 'फ्राइडे टाइम्स' ने यह कहकर सबको चौंका दिया है कि विमान में कोई तकनीकी खराबी नहीं आई थी, बल्कि यह मोहम्मद बिन सलमान की नाराजगी थी, जिसकी वजह से इमरान के विमान को लौटना पड़ा था। वहीं, पाकिस्तान सरकार ने फ्राइडे टाइम्स की रिपोर्ट को सरासर गलत बताया है।
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पत्रिका ने अपनी रिपोर्ट इमरान समर्थकों पर हमला करते हुए कहा, हर हाल में इमरान खान के प्रशंसक बने रहने वालों ने न्यूयॉर्क से लौटने पर उनका विजेता हीरो जैसा स्वागत किया। यहां तक कि जिस विमान से इमरान वापस लौट रहे थे उसे एफ-17 थंडर विमानों के घेरे में सम्मान के साथ लाए जाने का भी सुझाव दिया।
पत्रिका ने लिखा इन समर्थकों को लगता है कि इमरान ने कश्मीर, इस्लामोफोबिया जैसे सभी खास मुद्दों पर धारदार तरीके से बात रखी। उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इमरान के भाषण के दौरान हॉल आधा खाली पड़ा था और इमरान ने मान लिया था कि पाकिस्तान अलकायदा आतंकियों को प्रशिक्षित करता था।
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पाकिस्तान सरकार के प्रवक्ता ने फ्राइडे टाइम्स की सूचना पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे गलत बताया है। उन्होंने कहा, "सऊदी क्राउन प्रिंस की तरफ से इमरान के विमान को कनाडा से वापस अमेरिका बुलाने की खबर मनगढ़ंत है। पाकिस्तान और सऊदी अरब के शासकों के बीच बेहतरीन संबंध है। रिपोर्ट में प्रधानमंत्री की विश्व के नेताओं के साथ सफल बातचीत को कमजोर करने की कोशिश की गई है। तुर्की और मलेशिया के नेताओं से प्रधानमंत्री की मुलाकात पर अपने मन से नतीजा निकाल लिया गया है। इस रिपोर्ट का मकसद राजनैतिक लाभ के लिए भाईचारे वाला संबंध रखने वाले दो देशों के बीच के रिश्तों पर हमला करना है। हम इसे सिरे से खारिज करते हैं।"
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