संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने रविवार को भारत के निर्वाचन आयोग को एक खुला पत्र लिखकर 4 जून को लोकसभा चुनाव में पड़े मतों की ‘‘स्वतंत्र और पारदर्शी’’ मतगणना सुनिश्चित करने का आग्रह किया। लोकसभा चुनाव के लिए सात चरणों में हुए मतदान की मतगणना चार जून को होगी।
अब रद्द हो चुके कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर चुके एसकेएम ने खुले पत्र में कहा कि वह मतगणना प्रक्रिया में छेड़छाड़ को लेकर आशंकित है। एसकेएम ने कहा, ‘‘पूरे भारत के किसानों की ओर से, हम मौजूदा सरकार को शासन बरकरार रखने में मदद करने के लिए लोगों के फैसले को पलटने के वास्ते चार जून, 2024 की निर्धारित मतगणना प्रक्रिया के साथ छेड़छाड़ की किसी संभावना पर अपनी आशंका आपके ध्यान में लाना चाहते हैं।’’
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उसने कहा, ‘‘पिछले चुनावों के विपरीत, भारत के किसानों ने बीजेपी के चुनाव अभियान का विशेष रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और ऋण माफी के संबंध में एसकेएम के साथ हुए लिखित समझौते को लागू करने में घोर विश्वासघात के खिलाफ और इसकी कॉर्पोरेट नीतियों को उजागर करने के लिए सीधा विरोध किया था।’’
चालीस से अधिक भारतीय किसान संघों के छत्र निकाय एसकेएम ने कहा कि ‘‘व्यापक और शांतिपूर्ण’’ विरोध प्रदर्शनों ने किसानों, श्रमिकों और सभी गरीब वर्गों को अपनी आजीविका के मुद्दों को उठाने और लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता एवं संघवाद के संवैधानिक सिद्धांतों की रक्षा करने में मदद की। उसने दावा किया कि ट्रेड यूनियन और अन्य वर्गों के सक्रिय समर्थन से 13 महीने तक चले किसानों के संघर्ष में 750 से अधिक किसानों की मौत हुई।
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एसकेएम ने कहा, ‘‘भाजपा ने किसानों को विदेशी आतंकवादियों और खालिस्तानियों द्वारा वित्त पोषित, देशद्रोही बताकर जहर उगला था। चुनाव के दौरान, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के शीर्ष नेताओं ने प्रमुख अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ लगातार नफरत भरे भाषण देकर आदर्श आचार संहिता और भारत के संविधान का उल्लंघन किया।’’
एसकेएम ने कहा, ‘‘उन्होंने सौहार्दपूर्ण सामाजिक जीवन को जानबूझकर नष्ट करने के उद्देश्य से अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक सिद्धांत पर हमला किया गया।’’ एसकेएम ने निर्वाचन आयोग से सार्वजनिक रूप से अनुरोध किया कि वह दंडात्मक कार्रवाई करे और नरेन्द्र मोदी समेत कानून का उल्लंघन करने वालों पर चुनाव लड़ने पर छह साल का प्रतिबंध लगाए।
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उसने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से, निर्वाचन आयोग ने निष्क्रियता का मौन रास्ता अपनाया, कार्रवाई में देरी की और अंत में कानून तोड़ने वालों को ‘सलाह’ देकर इसे समाप्त कर दिया। इस प्रकार, संवैधानिक जिम्मेदारी को बनाए रखने में निर्वाचन आयोग की विफलता ने भाजपा की विभाजनकारी विचारधारा को प्रबल होने और चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर लोगों को प्रभावित करने दिया।’’
उसने कहा कि, ‘‘प्रधानमंत्री को नियंत्रित करने में विफलता ने पूरे चुनाव प्रक्रिया के बारे में लोगों के मन में गंभीर संदेह पैदा किया कि यह सत्ता में बने रहने के प्रयासों में भाजपा के ‘पक्ष’ में है।’’ एसकेएम ने निर्वाचन आयोग पर प्रेस वार्ता आयोजित करने और मतदान डेटा प्रदान करने में पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं करने का भी आरोप लगाया। उसने कहा कि प्रदान किए गए डेटा में गंभीर विसंगतियां थीं और ‘कार्यवाहक सरकार’ ने निर्वाचन आयोग की पूर्व अनुमति के बिना, ‘‘चुनाव पूर्व विपक्षी गठबंधन को अक्षम करने’’ के लिए दिल्ली के निर्वाचित मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया।
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उन्होंने कहा, ‘‘विपक्षी दलों के बैंक खाते के लेनदेन पर रोक। दोनों घटनाओं में निर्वाचन आयोग चुप रहा। पुलिस और खुफिया ब्यूरो ने भाजपा के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने वाले पंजाब के किसान नेताओं को भी निशाना बनाया।’’ एसकेएम ने अपने पत्र में निर्वाचन आयोग से ‘‘प्रक्रिया के अनुसार स्वतंत्र और पारदर्शी मतगणना सुनिश्चित करने’’ और नियमों के अनुसार समय-समय पर मतों का सटीक विवरण जनता के साथ साझा करने का आग्रह किया, ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी का संदेह न हो।
एसकेएम ने कहा, ‘‘सभी उल्लंघनों को रोका जाए और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ सख्त और कड़ी कार्रवाई की जाए। कृपया भारत के किसानों की इन चिंताओं के बारे में सभी चुनाव रिटर्निंग अधिकारियों को सूचित करें।’’ मोर्चा ने कहा, ‘‘अंत में, हम एक बार फिर यह कहना चाहते हैं कि हम नहीं चाहते कि भारत का निर्वाचन आयोग किसानों और देश के लोगों को यह मानने का कोई कारण दे कि किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में किसी अनुचित आचरण द्वारा उनके लोकप्रिय जनादेश को कमजोर किया गया।’’
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