कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद, सीपीआई-एमएल की पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन, वकील प्रशांत भूषण, छात्र नेता कंवलप्रीत कौर और वैज्ञानिक और शायर गौहर रज़ा के नाम दिल्ली दंगों की चार्जशीट के उस हिस्से में शामिल किए गए हैं, जिसमें आरोपियों के बयानों का जिक्र है। दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट एफआईआर संख्या 59/2020 के तहत दाखिल की है। एफआईआर में यूएपीए भी आरोपियों पर लगाया गया है।
चार्जशीट के मुताबिक सलमान खुर्शीद और प्रशांत भूषण के नाम आरोपी खालिद सैफी और इशरत जहां के बयान के आधार पर शामिल किए हैं। प्रशांत भूषण और गौहर रजा के नाम खुरेजी में दिए गए एक भाषण के संदर्भ में शामिल हुए हैं। पुलिस के मुताबिक इन लोगों ने अपने भाषणों से कथित तौर पर भड़काव बातें कही थीं।
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वहीं कंवलप्रीत कौर का नाम खालिद सैफी के 25 मई को दिए बयान के आधार पर सामने आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि वह कंवलप्रीत और अन्य लोगों के संपर्क में रहते हुए आंदोलन की आगे की योजना बना रहे थे। इनपर अपने ट्वीट के माध्यम से भड़काव संदेश भेजने का आरोप है।
इसके अलावा एफआईआर में नामजद कुल 38 लोगों में से गिरफ्तार 15 आरोपियों में शामिल शादाब अहमद के बयान के आधार पर कविता कृष्णन, कंवलप्रीत कौर और उमर खालिद के पिता एस क्यू आर इल्यास के नाम भी चांदबाग के प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण देने के तौर पर शामिल हुए हैं। कविता का नाम देवांगना कलिता और नताशा नरवाल के बयानों से भी लिया गया है। कलिता और नरवाल दोनों को ही इस एफआईआर में आरोपी बनाया गया है।
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एक वादामाफ गवाह के बयान में कहा गया है कि गौहर रजा ने “सीएए, एनआरसी और सरकार के विरोध में भाषण दिया और मुसलमानों को भड़काया।” गौर रज़ा का इस मामले पर कहना है कि वे आज भी सीएए का विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि “यह देश के संविधान पर हमला है। मैं हमेशा से किसी भी किस्म की हिंसा का विरोधी रहा हूं, ऐसे में मैं कभी भी किसी को किसी के खिलाफ नहीं भड़का सकता।“
हालांकि चार्जशीट में इनमें से किसी को भी अभी आरोपी नहीं बनाया गया है, लेकिन इन पर इस मामले में आरोपी बनने की तलवार तो लटक ही रही है क्योंकि धारा 120 बी के तहत इन पर साजिश रचने के आरोप लगा जा सकते हैं। चूंकि आरोपियों के बयानों को अदालत में पेश नहीं किया जा सकता है और इस विषय में कोई सबूत भी नहीं है, ऐसे में इन पर मुकदमा भी नहीं चलाया जा सकता।
दिल्ली पुलिस का आरोप है कि जो भी लोग सीएए और एनआरसी का विरोध कर रहे थे, वे आंदोलन को दिल्ली में दंगे भड़काने की योजना के लिए कर रहे थे।
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खालिद सैफी के वकील हर्ष बोरा का कहना है कि आरोपियों के बयान अदालतम साक्ष्य के तौर पर पेश नहीं किए जा सकते क्योंकि हिरासत के दौरान आरोपी के बयान पुलिस के दबाव में दिए गए होते हैं। बोरा ने कहा कि “वैसे भी ये आरोप झूठे हैं।”
वहीं प्रशांत भूषण ने भी इन आरोपों को गलत करार दिया है। उन्होंने कहा, “मेरे भाषण न तो भड़काऊ थे और न ही हिंसा के लिए उकसाने वाले थे। मैं सरकार की कड़ी आलोचना करता रहा हूं, लेकिन यह कोई हिंसक कदम नहीं है। यह सरकार उसके खिलाफ किए जाने वाले किसी भी आंदोलन का समर्थन करने वालों पर मुकदमा करना चाहती है।” कंवलप्रीत कौर ने भी अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद और झूठा करार दिया है।
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चार्जशीट पर सवाल उठाते हुए कविता कृष्णन ने कहा, “दिल्ली पुलिस दावा कर रही है कि दिल्ली में आमतौर पर होने वाले भाषण और सभाएं एक साजिश का हिस्सा है।” गौरतलब है कि चार्जशीट में सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव, अर्थशासत्री जयति घोष, दिल्ली के प्रोफेसर अपूर्वानंद और फिल्म मेकर राहुल रॉय के नाम भी सामने आए हैं।
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