सफदर हाशमी मेमोरियल ट्रस्ट यानी सहमत के बैनर तले इस बार भी प्रख्यात रंगकर्मी सफदर हाशमी की बरसी उसी तरह मनाई गई जिस तरह हर साल मनाई जाती है। इस बार सहमत के आयोजन में शामिल तमाम सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देश भर में चल रहे विरोध प्रदर्शनों से एकजुटता व्यक्त की। दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब में हुए कार्यक्रम के दौरान सफदर हाशमी के भाई सहेल हाशमी ने याद किया कि कैसे 1 जनवरी 1989 को साहिबाबाद में एक नुक्कड़ नाटक का मंचन करते हुए सफदर हाशमी पर हमला किया गया था जिसमें उनकी जान चली गई।
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उन्होंने कहा कि, “हम हर सास इस दिन को लोकतांत्रिक और समावेशी सेकुलर मूल्यों के प्रतिष्ठापन के लिए गीतों, कविताओं, नाट्य मंचन और अन्य कला माध्यमों से व्यक्त करते हैं।” उन्होंने बताया कि इन्हीं मूल्यों की खातिर फरवरी 1989 में सहमत की स्थापना की गई थी।
कार्यक्रम के दौरान नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जारी विरोध से एकजुटता जताई गई। सोहेल हाशमी ने कहा, “आज देश में क्या हो रहा है, नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए हम पर थोपा जा रहा है, या फिर कश्मीर से 370 हटाने के नाम पर पाबंदियां लगाई जा रही हैं, या फिर आदिवासियों से उनके हक छीने जा रहे हैं, और अब हद तो यह है कि हमें विरोध करने तक से रोका जा रहा है।” कुल मिलाकर हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों पर प्रहार किया जा रहा है।“
उन्होंने कहा, “इस कार्यक्रम का मकसद सरकार के गैर संवैधानिक फैसलों का बहादुरी से विरोध करने वाले लोगों को रचनात्मक सहयोग देना है” कार्यक्रम के दौरान रंगकर्मी एम के रैना, पूर्व आईएएस हर्ष मंदर, अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक और जयती घोष के अलावा तमाम प्रसिद्ध रंगकर्मियों और कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया और अपने विचार रखे।
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