राफेल विमान सौदे में भ्रष्टाचार, सीबीआई का जंजाल और खुलकर सामने आ चुकी आरबीआई के साथ तकरार, सिर पर चुनावों का भार, ऐसे में कैसे हो 2019 में मोदी की अगुवाई में बीजेपी की नैया पार। नैया पार लगाई जा सकती है, बशर्ते मोदी सरकार राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करे। दिल्ली में हुई दिन के साधू-संत सम्मेलन में देश भर से जुटे सैकड़ों साधू-संतों ने मोदी सरकार को यह धर्मादेश दिया है। मोदी सरकार अगर अध्यादेश ले आती है तो 2019 के आम चुनावों में मोदी सरकार की राह आसान करने के लिए संत समिति और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) पूरी ताकत झोंकने का फैसला किया है।
दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में साधू-संतों के सम्मेलन के दूसरे और आखिरी दिन दोपहर बाद प्रस्ताव पढ़ते हुए अखिल भारतीय संत समिति के अध्यक्ष जगदगुरु शंकराचार्य हंसदेवाचार्य ने कहा:
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“राम मंदिर निर्माण के अलावा हम किसी और बात पर कोई समझौता करने को तैयार नहीं।” उनका कहना था कि, “हम सरकार, अदालत और आम जनता, सबका सम्मान करते हैं, लेकिन मंदिर तो अब बनकर रहेगा।“
इस सम्मेलन की खास बात यह भी रही मंदिर आंदोलन में हमेशा से नेपथ्य में रहकर काम करने वाला आरएसएस इस बार खुलकर सामने नजर आया और सम्मेलन में आरएसएस से जुड़े कई जाने पहचाने चेहरे सक्रिय देखे गए।
दो दिन की संत समिति की बैठक में जो माहौल नजर आया, उसके बाद इस बात में तनिक भी संदेह नहीं रह गया कि 2019 के आम चुनावों के लिए बीजेपी ने अपने चुनाव प्रचार की रणनीति का इंतजार किए बिना ही, मोदी सरकार की सत्ता में वापसी के लिए समानांतर मशीनरी तैयार कर दी है। बैठक में वक्ताओं ने एक स्वर में कहा, "मंदिर निर्माण का सपना साकार करने के लिए 2019 में दोबारा मोदी सरकार को ही सत्ता में लाना बहुत जरूरी है।"
संतों ने फैसला किया कि दिसंबर के बाद लोकसभा चुनावों के बीच विश्व हिंदू परिषद और संतो की देश भर में 500 से ज्यादा सभाएं होंगी। दीपावली के दिन एक दीया राम मंदिर बनाने के लिए जलाने और 18 दिसंबर से गीता जयंती के लिए धार्मिक अनुष्ठान का भी आयोजन करने का आह्वान किया गया है।
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‘धर्मादेश’ के लिए इस महासम्मेलन के जरिए मोदी सरकार को एक तरह से भारत को एक संपूर्ण हिंदू राष्ट्र घोषित कराने का एजेंडा थमा दिया गया है। संत समिति के अध्यक्ष हंसदेवाचार्य ने कहा, “वक्त आ चुका है कि भारत की राष्ट्रधर्म की पहचान बने। उसी को वोट दें, जो हिंदुत्व के मूल्यों में भरोसा रखता हो। गाय का शिकार करने वालों को वोट न दें। ‘धर्मादेश’ आगे कहता है, “गाय, गंगा, गीता, गायत्री व गोविंद को मानने वाले को वोट दें। राष्ट्रधर्म का विचार करके ही वोट दें।”
सम्मेलन में शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा, "इस देश में निवास करने वाले सब लोग हिंदू हैं। हिंदुत्व ही उनकी पहचान है।“ उन्होंने कहा, "राममंदिर के बाद भारत माता मंदिर, कृष्ण जन्म भूमि व काशीनाथ मंदिर हमारी आगे का लक्ष्य है। नाम अब दिल्ली का बदलेगा और इसका नाम अब इंद्रप्रस्थ नाम रखा जाएगा, जैसा कि दिल्ली का प्राचीन नाम हुआ करता था।“ उन्होंने कहा कि, “सबरीमाला पर सुप्रीम कोर्ट ने मासिक धर्म की उम्र वाली महिलाओं को पूजा की अनुमति देकर वही काम किया कि आप जूता चप्पल लेकर मंदिरों, गुरुद्वारों और मस्जिदों में प्रवेश कर सकते हैं।"
मंदिर निर्माण की बाधाओं को दूर करने को मोदी सरकार की पीठ पर हाथ रखते हुए कहा गया, "जो पार्टियां और संगठन अब तक राम मंदिर निर्माण में अड़ंगा लगाते रहे, वे भी अब कह रहे हैं कि राम मंदिर कब बना रहे हो। तो अब देर किस बात की है। राम मंदिर अब तक क्यों नहीं बना, इसके लिए किसी पार्टी को दोष नहीं दे सकते, लेकिन मोदी सरकार ने जो कुछ भी प्रयास अब तक किए हैं, उससे संत समाज पूरी तरह से संतुष्ट और सहमत है।“ कहा गया कि:
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“ऐसे मौके पर जबकि देश व प्रदेश में बीजेपी की सरकार है तो मंदिर अब नहीं बनेगा, तो कब बनेगा।“ समिति ने संतों को इस बात का संदेश देश की आम जनता तक पहुंचाने को कहा है कि ‘अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए देश में मोदी और यूपी में योगी के चलते ही मंदिर निर्माण सुनिश्चित हो सकेगा।‘
संत समिति की 'धर्मादेश' बैठक में आचार्य अविचल दास ने कहा कि, “मोदी सरकार को 2019 के आम चुनाव में दोबारा सत्ता में लाने से ही राम मंदिर निर्माण का सपना साकार हो सकेगा।“ सभा में देशभर से करीब 2000 संत प्रतिनिधियों और विभिन्न अखाड़ों और संस्थाओं के संतों ने शिरकत की।
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संत समिति ने ऐलान किया कि अगले माह संसद के बजट सत्र के दौरान राम मंदिर के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर 9 दिसंबर को दिल्ली में देश भर से करीब 5 लाख लोगों की रैली का आयोजन किया जाएगा। लेकिन, उसके पहले राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत पांच प्रदेशों में विधानचुनावों के मद्देनजर बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने लिए इसी माह 25 नवंबर को अयोध्या, नागपुर और दक्षिण भारत के बंग्लुरु में विशाल धर्म सभाओं का आयोजन किया जाएगा। इन सभाओं के जरिए राम मंदिर निर्माण के लिए जनमत जगाने और और धार्मिक ध्रुवीकरण खड़ा करने के लिए हिंदु समाज को एकजुट करने का संकल्प लिया गया।
स्वामी विवेकानंद गुरुकुल प्रभात ने तो यहां तक सीख दे दी कि राम मंदिर बनाने के लिए इस बार किस तरह की तरकीब से काम लेना है। बकौल उनके, "खीर भी खानी है। मुंह और हाथ भी बचाने हैं। अपनी साख भी बचानी है, सरकार की साख भी बचानी है। यानी मंदिर बनाने के लिए पूरी होशियारी से काम लेना है, ताकि मोदी सरकार की भी साख भी बनी रहे और मंदिर बनाने का काम काम भी हो जाए।" संत विवेकानंद की इस पंक्ति को संत सभा में करीब आधे दर्जन वक्ताओं ने बार-बार दोहराया और उनके इस कथन को संतसभा का कूट वाक्य बताया।
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