नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुए प्रदर्शनों के दौरान गिरफ्तार की गईं अभिनेत्री और कार्यकर्ता सदफ जाफर ने पुलिस पर हिरासत में मारपीट का आरोप लगाया है। अपनी आपबीती बयां करते हुए उन्होंने कहा कि हिरासत के दौरान पुलिस वालों ने उनके पेट में लात मारी और पाकिस्तान जाने के लिए कहा। सदफ ने आरोप लगाया कि हिरासत के दौरान खुद को महानीरिक्षक रैंक का अधिकारी बता रहे एक पुलिस अधिकारी ने भी उन्हें पीटा।
मंगलवार को जेल से रिहाई के बाद सदफ जाफर ने हिरासत के दौरान अपनी आपबीती बयां करते हुए कहा, "हिरासत में पुलिसवालों ने मुझे गाली दी। एक पुरुष पुलिसकर्मी ने पेट में लात मारी और मुझे पाकिस्तानी कहा। एक महिला पुलिसकर्मी ने भी थप्पड़ मारा। फिर एक पुरुष अधिकारी ने मुझे पीटा, जिसने दावा किया कि वह एक महानिरीक्षक रैंक का अधिकारी है।"
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कांग्रेस से जुड़ी सदफ जाफर ने प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शनों को सांप्रदायिक रंग देने, निर्दोष व्यक्तियों को गिरफ्तार करने और बेरहमी से पिटाई करने के लिए पुलिस को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा कि "मेरा एकमात्र डर यही था कि मैं एक सिंगल मदर हूं और अपने छोटे बच्चों से दूर रहूंगी। मैं पुलिस द्वारा क्रूरतापूर्वक मारपीट करने से भी आशंकित थी। लेकिन अब मेरे दोनों डर खत्म हो गए हैं। योगी सरकार ने सारा डर निकाल दिया है। हम आगे भी अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे और सीएए के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा
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गौरतलब है कि लखनऊ की सामाजिक कार्यकर्ता और कांग्रेस से जुड़ीं सदफ जाफर को लखनऊ पुलिस ने दंगा भड़काने का आरोप लगाते हुए 19 दिसंबर को परिवर्तन चौक पर हुए प्रदर्शन स्थल से उस समय गिरफतार किया था, जब वह प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा का फेसबुक लाइव कर रही थीं। इस दौरान वह बार-बार वहां मौजूद पुलिस वालों से पत्थरबाजी कर रहे लोगों पर कार्रवाई करने की मांग करती नजर आ रही थीं, लेकिन इसी दौरान पुलिस ने अचानक आकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और फिल्मकार मीरा नायर समेत कई हस्तियों ने सदफ जफर की गिरफ्तारी की आलोचना करते हुए उनकी रिहाई की मांग की थी। प्रियंका गांधी ने लखनऊ में सदफ जाफर के घर जाकर उनके बच्चों और परिवार के लोगों से मुलाकात कर उनका हौसला बढ़ाया था। आज रिहा होने के बाद सदफ जाफर ने कहा कि जिस तरह से कांग्रेस ने उनके बच्चों की देखभाल की है, उससे वह बेहद खुश हैं।
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बता दें कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बीते साल 19 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हुए विरोध-प्रदर्शनों के दौरान गिरफ्तार पूर्व आईपीएस अधिकारी एस आर दारापुरी और कांग्रेस कार्यकर्ता सदफ जाफर को स्थानीय सत्र अदालत ने शनिवार को जमानत दे दी थी, लेकिन कागजी कार्रवाई पूरी न होने के कारण उनकी जेल से रिहाई नहीं हो सकी थी। दोनों सामाजिक कार्यकर्ताओं को मंगलवार सुबह लखनऊ जिला जेल से रिहा किया गया।
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