बर्खास्त परिवीक्षाधीन आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर लोकसभा चुनाव में असफल होने के बाद अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरे हैं। दिलीप खेडकर ने अहिल्यानगर जिले की शेवगांव सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया है। लोकसभा चुनाव के दौरान दिलीप खेडकर ने अहमदनगर निर्वाचन क्षेत्र से वंचित बहुजन आघाडी (वीबीए) के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, लेकिन वह जीत नहीं सके थे।
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दिलीप खेडकर ने मंगलवार को विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया। मंगलवार को नामांकन प्रक्रिया दाखिल करने का अंतिम दिन है। पूर्व सरकारी अधिकारी दिलीप खेडकर और उनकी पत्नी मनोरमा खेडकर कथित आपराधिक धमकी मामले के आरोपियों में से एक हैं। मनोरमा ने जून 2023 में भूमि विवाद को लेकर पुणे जिले में एक किसान को कथित तौर पर बंदूक दिखाई थी।
हालांकि खेडकर ने चुनावी हलफनामे में अपनी पत्नी से संबंधित कोई जानकारी नहीं दी है, जबकि लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने ऐसा किया था। उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान दिलीप ने चुनावी हलफनामे में अपनी पत्नी मनोरमा से जुड़ी जानकारी का उल्लेख किया था और यह संकेत दिया था कि वे अलग नहीं हुए हैं जबकि उनकी बेटी पूजा खेडकर ने उनके अलग होने का दावा किया था। दिलीप ने इस बार ‘जीवनसाथी’ खंड में अपनी पत्नी का विवरण नहीं दिया।
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पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने यह दावा कर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) ‘नॉन-क्रीमी लेयर’ आरक्षण का दुरुपयोग किया था कि उनके माता-पिता अलग हो गए हैं। पुणे की एक सत्र अदालत ने आपराधिक धमकी मामले में दिलीप खेडकर को जुलाई में अग्रिम जमानत दे दी थी।
आरटीआई (सूचना का अधिकार) कार्यकर्ता विजय कुंभार ने खेडकर की वैवाहिक स्थिति के संबंध में सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘लोकसभा चुनावों के दौरान, दिलीप खेडकर और मनोरमा खेडकर विवाहित थे, लेकिन जब जाति-प्रमाण पत्र का मुद्दा सामने आया तो उन्होंने दोनों को अलग दिखाया और अब फिर से खेडकर ने दोनों को अलग दिखाया है।’
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पूजा खेडकर पर धोखाधड़ी करने और सेवा में अपना चयन सुनिश्चित करने के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और दिव्यांग कोटा का गलत तरीके से लाभ उठाने का आरोप लगा है। केंद्र सरकार ने छह सितंबर, 2024 के आदेश के तहत उन्हें आईएएस (परिवीक्षा) नियम, 1954 के नियम 12 के तहत भारतीय प्रशासनिक सेवा से मुक्त कर दिया। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने 31 जुलाई को उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी थी और उन्हें भविष्य की परीक्षाओं से वंचित कर दिया था।
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