सबरीमाला मंदिर विवाद में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट 48 पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
28 सितंबर को तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यों की बेंच ने 4:1 से यह फैसला दिया था कि केरल में भगवान अयप्पा के सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाएं प्रवेश कर सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट में दायर इन 48 पुनर्विचार याचिकाओं में यह आग्रह किया गया है कि कोर्ट 28 सितंबर के अपने उस फैसले को बदले, जिसमें मंदिर के दरवाजों को 10 से 50 वर्ष की आयु की महिलाओं के लिए भी खोलने का आदेश दिया गया था। पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई चीफ जस्टि, रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यों की पीठ करेगी, जिसमें उनके अलावा जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा हैं। यह सुनवाई खुली अदालत की बजाय चैंबर में होगी। सबरीमाला मामले में इन याचिकाओं के अलावा तीन अलग-अलग पुनर्विचार याचिकाएं और दाखिल की गई हैं, जिनकी सुनवाई भी कल होगी। उनकी सुनवाई चीफ जस्टिस, रंजन गोगोई, जस्टिस एसके. कौल और जस्टिस केएम जोसफ की पीठ करेगी।
सबरीमाला पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से केरल में हिंदुवादी संगठनों और अयप्पा भक्तों का विरोध प्रदर्शन जारी है। इस विरोध के कारण पिछले महीने 6 दिनों के लिए सबरीमाला मंदिर खोले जाने के दौरान ‘प्रतिबंधित आयु वर्ग की कोई महिला’ मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई थी।
सोमवार को केरल सरकार ने संकेत दिया था कि वह इस विवाद को हल करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुला सकती है।
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इस बीच, सबरीमाला मुद्दे को लेकर केरल हाई कोर्ट में भी कानूनी लड़ाई चल रही है। केरल सरकार ने हाई कोर्ट में एक शपथ-पत्र दाखिल कर कहा है कि सबरीमाला मंदिर एक ‘धर्मनिरपेक्ष’ मंदिर है, जिसमें किसी भी धर्म को मानने वाले जा सकते हैं। कोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा गया था कि गैर-हिंदुओं को सबरीमाला मंदिर में जाने से रोका जाए।
सबरीमाला मंदिर के दरवाजे आने वाले 16 नवंबर को खुलेंगे। उस वक्त मंदिर का करीब दो महीने तक चलने वाला मुख्य तीर्थ यात्रा पर्व शुरू होगा। उन मंडलम और मकर संक्रांति पूजा कार्यक्रमों में लाखों अयप्पा भक्त हर साल शामिल होते हैं।
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