पूरे देश में मानसून की दस्तक के साथ जगह-जगह भारी बारिश हो रही है। उत्तराखंड इस समय बारिश और आपदा से जूझ रहा है। केदारनाथ धाम में बादल फटने के कारण वहां यात्रा करने गए कई श्रद्धालु फंसे हुए हैं।
लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है। राहत व बचाव कार्य में लगी टीमें लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जा रही हैं। राहत कार्य में जुटे एनडीआरएफ के एक अधिकारी ने बताया, सोनप्रयाग में उनकी एक टीम रेस्क्यू में लगी हुई है।
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इस बीच सोनप्रयाग-गौरीकुंड पहाड़ी रोड पर अचानक मलबा और बोल्डर गिर गया। इस रोड का इस्तेमाल रेस्क्यू के लिए किया जा रहा था। मलबा और बोल्डर गिरने से इस दो किलोमीटर लंबे वैकल्पिक मार्ग को क्षति पहुंची है।
एसडीआरएफ के कमांडेंट मणिकांत मिश्रा मौके पर पहुंचे और उन्होंने आगे की कार्य योजना तैयार की है। एसडीआरएफ की टीमों को सोनप्रयाग-गौरीकुंड मार्ग पर यात्रियों को सुरक्षित रेस्क्यू का निर्देश दिया गया है।
ड्रोन की मदद से कमांडेंट मणिकांत मिश्रा ने टीमों को नई कार्य योजना से अवगत कराया, जिससे रेस्क्यू अभियान को और अधिक प्रभावी तरीके से चलाया जा सके। उन्होंने अगस्त्यमुनि और रतूड़ा से मौके पर पहुंची दो बैकअप टीमों को तत्काल सर्च और रेस्क्यू अभियान तेज करने के आदेश दिए।
लिनचोली और केदारनाथ के हेलीपैड पर तैनात चार एसडीआरएफ टीमों को यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। एसडीआरएफ की टीमों ने अब तक दो किलोमीटर लंबे पहाड़ी मार्ग से 2 हजार 300 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू किया है।
एसडीआरएफ, स्थानीय पुलिस ने 737 लोगों का रेस्क्यू किया है। शेष यात्रियों को लिनचोली और केदारनाथ हेलीपैड पर पहुंचाया जा रहा है। इस चुनौतीपूर्ण स्थिति में एसडीआरएफ की टीमें अपने समर्पण और कठिन परिश्रम से रेस्क्यू अभियान चला रही हैं।
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बता दें कि बुधवार को रुद्रप्रयाग में हुई भारी बारिश के बाद केदारनाथ धाम में भीमबली में बादल फटने से लगभग 30 मीटर पैदल मार्ग पूरी तरह नष्ट हो गया। इस घटना के बाद कई श्रद्धालु केदारनाथ धाम और उसके मार्ग में अलग-अलग स्थानों पर फंसे हुए हैं, जिन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, जिला आपदा प्रबंधन एवं पुलिस फंसे यात्रियों को पहाड़ियों के बीच अस्थायी रास्ता तैयार कर सुरक्षित स्थानों पर लाने में जुटी है।
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