देश के केंद्रीय बैंक आरबीआई और मोदी सरकार के बीच पिछले कई दिनों से जारी विवाद के सार्वजनिक होने के बाद अब बीजेपी की तरफ से आरएसएस ने मोर्चा संभाल लिया है। आरएसएस ने आरबीआई गवर्नर को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा है कि या तो वह सरकार के हिसाब से काम करें या पद से इस्तीफा दे दें। समाचार एजेंसी ‘राइटर’ की खबर के अनुसार आरएसएस की आर्थिक शाखा माने जाने वाले ‘स्वदेशी जागरण मंच’ के प्रमुख अश्विनी महाजन ने कहा है कि आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को देश के आर्थिक विकास के लिए सरकार के साथ तालमेल बैठाकर काम करना चाहिए और अगर ऐसा नहीं कर सकते तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। महाजन ने साथ में ये भी कहा कि उर्जित पटेल को विवादों को सार्वजनिक करने से अपने अधिकारियों को रोकना चाहिए। खबर के अनुसार महाजन ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “अगर वह अनुशासन में नहीं रह सकते तो उनके लिए यही अच्छा है कि वह पद से इस्तीफा दे दें।” उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार के पास आरबीआई अक्ट के तहत सभी अधिकारों के उपयोग का पूरा अधिकार है।
Published: 31 Oct 2018, 10:24 PM IST
बता दें कि इससे पहले दिन में ये खबरें आई थीं कि सरकार के साथ टकराव से नाखुश उर्जित पटेल अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। दरअसल केंद्रीय बैंक और सरकार के बीच तनातनी की चर्चा ने उस समय समय जोर पकड़ा जब पिछले हफ्ते शुक्रवार को आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्या ने एक कार्यक्रम में कहा कि रिजर्व बैंक की आजादी की उपेक्षा करना खतरनाक हो सकता है। इसके बाद खुद गवर्नर उर्जित पटेल ने भी रिजर्व बैंक की स्वायतत्ता पर हमले को अवांछित करार दिया था। इसके बाद मंगलवार को वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आरबीआई की तीखी आलोचना करते हुए कहा था कि आरबीआई बड़े पैमाने पर कर्ज देने वाले बैंकों पर अंकुश लगाने में असफल रहा है। जेटली ने सार्वजनिक रूप से एनपीए समस्या के लिए रिजर्व बैंक को जिम्मेदार ठहराया था। सूत्रों के हवाले से ऐसी खबरें भी सामने आईं कि पिछले कुछ महीनों में समय-समय पर कई मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक को कई पत्र भी भेजे हैं। कहा जा रहा है कि इन पत्रों को धारा 7 के तहत अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए भेजा गया, लेकिन औपचारिक रूप से इसे स्वीकार नहीं किया गया है।
आरबीआई में मोदी सरकार की लगातार दखलंदाजी और गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफा देने की खबरों के जोर पकड़ने पर बुधवार को सरकार की तरफ से पहली बार सफाई आई। वित्त मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि, “केंद्रीय बैंक की स्वायत्ता आरबीआई एक्ट के दायरे में आवश्यक और सरकार की जरूरत है। केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक दोनों ही, अपने कामकाज में जनहित और भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए काम करती रही हैं। इसके लिए सरकार और बैंक के बीच समय-समय पर कई मुद्दों पर सलाह-मशविरा होता रहता है। जो भी अंतिम निर्णय होते हैं सिर्फ वही सामने लाए जाते हैं। इस तरह के सलाह-मशविरे में सरकार कई मुद्दों पर अपना आंकलन सामने रखती है और उसके संभावित हल का सुझाव देती है। सरकार आगे भी ऐसा ही करती रहेगी।”
Published: 31 Oct 2018, 10:24 PM IST
लेकिन अब इस विवाद में आरएसएस के कूदने के बाद ये स्पषट हो गया है कि मामला बहुत ही ज्यादा गंभीर हो गया है। और ये बात सर्वविदित है कि बीजेपी के फैसलों में आरएसएस की कितनी भूमिका होती है। ऐसे में इस बात की संभावना काफी बढ़ती दिख रही है कि आने वाले दिनों में आरबीआई में स्थिति और गंभीर होने वाली है और शायद देशवासियों को केंद्रीय बैंक के शीर्ष स्तर पर बदलाव भी देखने को मिले।
Published: 31 Oct 2018, 10:24 PM IST
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Published: 31 Oct 2018, 10:24 PM IST