राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के शीर्ष नेतृत्व ने बीजेपी के केंद्रीय नेताओं को कड़ा संदेश भेजकर पार्टी में ब्राह्मण नेताओं की अनदेखी पर नाराजगी जताई है। आरएसएस से जुड़े सूत्रों ने नेशनल हेरल्ड को बताया कि बीजेपी ने बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में ब्राह्मण नेताओं की अनदेखी हुई है।
आरएसएस ने इस बारे में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को संदेश दिया है कि ब्राह्मण सांसदों की अनदेखी का असर देश भर में होगा और ब्राह्मण समुदाय बीजेपी से दूर होगा। सूत्रों के मुताबिक संघ ने बीजेपी को याद दिलाया है कि 2014 में ब्राह्मणों ने ही देश भर में नरेंद्र मोदी को समर्थन देकर सत्ता तक पहुंचाया था
संघ के शीर्ष सूत्रों के मुताबिक पिछले महीने अमित शाह को कहा गया कि, “बीजेपी अपने ब्राह्मण नेताओं को किनारे कर रही है। इनमें से कई उम्र और अनुभव में बेहद वरिष्ठ हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस ने ब्राह्मणों को अपने साथ लिया है, खासतौर से प्रियंका गांधी ने राजनीति में उतरने के बाद इस समुदाय से नजदीकियां बढ़ाई हैं।”
गौरतलब है कि बीजेपी ने बिहार के वाल्मीकि नगर से सांसद सतीश दुबे का काटकर यह सीट अपने सहयोगी जेडीयू को दे दी है। वाल्मीकि नगर उन पांच सीटों में से एक है जिन्हें बीजेपी ने सहयोगियों के लिए छोड़ा है। बाकी चार सीटें नवादा, झंझारपुर, दरभंगा और गोपालगंज हैं।
इसी तरह उत्तर प्रदेश में भी वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी को कानपुर से टिकट नहीं दिया गया, जिससे संघ काफी खफा है। इनके अलावा देवरिया के मौजूदा सांसद कलराज मिश्र भी इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। सूत्रों का दावा है कि कलराज मिश्र को प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह का समर्थन नहीं है।
झारखंड में बी बीजेपी ने अपने गढ़ गिरीडीह को अपने सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन को दे दिया है। इस सीट से बीजेपी के रवींद्र कुमार पांडे सांसद है, जो झारखंड में ब्राह्मण समाज का प्रमुख चेहरा हैं।
सूत्रों का कहना है कि कर्नाटक में भी बीजेपी ने एक मजबूत ब्राह्मण चेहरा पार्टी के वरिष्ठ नेता अनंत कुमार की पत्नी को टिकट न दिकर 28 साल के तेजस्वी सूर्या को मैदान में उतारा है। सूर्या की उम्मीदवारी से संघ नाराज है। बताया जाता है कि सूर्या को टिकट देने का फैसला खुद अमित शाह का है, और उन्होंने बेंग्लुरु दक्षिण में सूर्या के लिए इसी सप्ताह प्रचार भी किया।
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