राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के कार्यक्रमों और मेल-मुलाकातों में इन दिनों लगातार मुस्लिमों का जिक्र किसी न किसी रूप में जुड़ रहा है। हाल ही में संघ प्रमुख मोहन भागवत की जमीयत उलेमाए हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी से मुलाकात के बाद अब संघ से जुड़े संगठन ने मुगल राजकुमार और औरंगज़ेब के बड़े भाई दारा शिकोह पर परिसंवाद का आयोजन किया है। यह आयोजन आज (11 सितंबर, 2019) को दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित किया जा रहा है।
यह सर्वविदित है कि आरएसएस और उससे जुड़े हिंदूवादी संगठन मुगल काल की खुलेआम आलोचना करते रहे हैं। अभी तीन बरस पहले ही दिल्ली के औरंगजेब रोड का नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम रोड कर दिया गया था। लेकिन इसी औरंगजेब के बड़े भाई और मुगल बादशाह शाहजहां के बड़े बेटे दारा शिकोह को लेकर संघ का मोह दिलचस्प है।
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दारा शिकोह पर कार्यक्रम का आयोजन एकेडमिक्स फॉर नेशन नाम के संगठन ने किया है। यह संगठन हाल ही में अस्तित्व में आया है और इसका संघ से जुड़ाव बताया जाता है। इस कार्यकर्म का विषय ‘भारत की समन्वयवादी परंपरा के नायक दारा शिकोह पर परिसंवाद’ रखा गया है। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, जेएनयू में फारसी और सेंट्रल एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ लैंग्वेजेज, लिटरेचर एंड कल्चर स्टडीज़ के प्रोफेसर ऐनुल हसन और अधिवक्ता एहतेशाम आबिदी के अलावा हाल ही में केरल के राज्यपाल नियुक्त हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान शामिल होंगे।
गौरतलब है कि आरएसएस दारा शिकोह और उसकी नीतियों का समर्थन करता रहा है। पिछले सालों में जब केंद्र की मोदी सरकार ने दिल्ली के औरंगजेब रोड का नाम बदला था, उसी दौरान दिल्ली के डलहौजी रोड का नाम बदलकर दाराशिकोह लेन रखा था।
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दारा शिकोह शाहजहां का बड़ा बेटा था। 20 मार्च 1615 को अजमेर के तारागढ़ किले में जन्मा दारा शिकोह अपने पिता शाहजहां और बहन जहां आरा के बाद हिंदुस्तान का मुगल सम्राट बना था। वह मुगल वंश का पांचवां बादशाह था। दारा शिकोह की पहचान सहिष्णुता और सर्वधर्म समभाव के लिए होती है। दारा शिकोह को इस्लाम और वेदांत के एकीकरण की दिशा में काम करने के लिए भी जाना जाता है।
इतिहास के मुताबिक दारा शिकोह ने 52 उपनिषदों का अनुवाद ‘सीर-ए-अकबर’ जिसका हिंदी में अर्थ होता है, सबसे बड़ा रहस्य के रूप में किया था। दारा शिकोह के जीवन पर हिंदू और इस्लामी सूफी संतों के दर्शन का गहार प्रभाव था। इसके अलावा वेदांत और सूफीवाद पर दारा शिकोह ने कई पुस्तकें भी लिखीं हैं। इतिहासकारों के मुताबिक दारा शिकोह की कई कृतियों पर हिंदू दर्शन की छाप है। इन्हीं सब कारणों से संघ की दारा शिकोह में रुचि रही है।
इसके विपरीत औरंगजेब को एक क्रूर शासक माना जाता है। इतिहासकारों के मुताबिक औरंगजेब ने 1659 में दारा शिकोह का सिर कलम कर दिया था और हिंदुस्तान का छठा मुगल बादशाह बन गया था।
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इससे पहले 2017 में भी संघ ने दारा शिकोह पर कार्यक्रम किया था। संघ के प्रचारक चमन लाल की स्मृति में नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में दारा शिकोह के व्यक्तित्व पर चर्चा हुई थी। उस कार्यकर्म में संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले और मनमोहन वैद्य के अलावा बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने हिस्सा लिया था। पीयूष गोयल ने तब कहा था कि दारा शिकोह के शांति का संदेश हिंदुत्व और इस्लाम के सह अस्तित्व पर आधारित था और सबका साथ-सबका विकास का नारा भी दारा शिकोह की विचारधारा के अनुसार ही है। इस कार्यक्रम में भी संघ के कई प्रमुख पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया था।
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संघ द्वारा ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन के पीछे माना जा रहा है कि संघ और बीजेपी दारा शिकोह बनाम औरंगजेब की बहस छेड़कर कट्टरता का जवाब देना चाहते हैं।
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