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संघ प्रमुख भागवत ने फिर किया अखंड भारत बनने का दावा, बोले- अहिंसा की बात करेंगे, पर हाथों में डंडा लेकर कहेंगे

भागवत ने कहा कि इसके रास्ते में जो आएंगे वह मिट जाएंगे। उन्होंने कहा कि हम अहिंसा की ही बात करेंगे, पर यह बात हाथों में डंडा लेकर कहेंगे। हमारे में मन में कोई द्वेष, शत्रुता का भाव नहीं है, लेकिन दुनिया शक्ति को ही मानती है तो हम क्या करें।

फोटोः IANS
फोटोः IANS 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने एक बार फिर कहा है कि 15 साल में भारत फिर से अखंड भारत बनेगा। यह सब हम अपनी आंखों से देखेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि सनातन धर्म ही हिंदू राष्ट्र है। भागवत ने कहा कि वैसे तो संतों की ज्योतिष के अनुसार, 20 से 25 साल में भारत फिर से अखंड भारत होगा ही। यदि हम सब मिलकर इस कार्य की गति को बढ़ाएंगे, तो 10 से 15 साल में अखंड भारत बन जाएगा।

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संघ प्रमुख मोहन भागवत बुधवार को कनखल के संन्यास रोड स्थित श्रीकृष्ण निवास एवं पूणार्नंद आश्रम में ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर श्री 1008 स्वामी दिव्यानंद गिरि की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा और श्री गुरुत्रय मंदिर का लोकार्पण करने के लिए पहुंचे थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारत प्रगति पथ पर लगातार आगे बढ़ रहा है। इसके रास्ते में जो आएंगे वह मिट जाएंगे। उन्होंने कहा कि हम अहिंसा की ही बात करेंगे, पर यह बात हाथों में डंडा लेकर कहेंगे। हमारे में मन में कोई द्वेष, शत्रुता का भाव नहीं है, लेकिन दुनिया शक्ति को ही मानती है तो हम क्या करें।

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संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जिस प्रकार भगवान कृष्ण की ऊंगली से गोवर्धन पर्वत उठ गया था, पर गोपालों ने सोचा कि उनकी लकड़ियों के बल पर गोवर्धन पर्वत रुका हुआ है। जब भगवान कृष्ण ने ऊंगली हटाई तो पर्वत झुकने लगा। तब गोपालों को पता चला कि पर्वत तो भगवान श्रीकृष्ण की ऊंगली से रुका हुआ है। ऐसे ही लकड़ियां तो हम सब लगाएंगे, पर संतगणों के रूप में इस महान कार्य के लिए ऊंगली लगेगी तो स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविंद के सपनों का अखंड भारत बनाने में जल्द सफलता मिलेगी। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म और भारत समान शब्द हैं। लेकिन जब राज्य बदलता है तो राजा भी बदल जाता है।

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उन्होंने कहा कि हमारी राष्ट्रीयता गंगा के प्रवाह की तरह कल-कल कर बह रही है। जब तक राष्ट्र है तब तक धर्म है। धर्म के प्रयास के उत्थान के लिए प्रयास होगा तो भारत का उत्थान होगा। एक हजार साल तक भारत में सनातन धर्म को समाप्त करने के प्रयास लगातार किए गए, मगर वह मिट गए, पर हम और सनातन धर्म आज भी वहीं हैं। उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां आकर दुनिया के हर प्रकार के व्यक्ति की दुष्ट प्रवृत्ति समाप्त हो जाती है। वह भारत में आकर या तो ठीक हो जाता है या फिर मिट जाता है।

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भागवत ने कहा कि जो तथाकथित लोग सनातन धर्म का विरोध करते हैं, उनका भी उसमें सहयोग है। यदि वह विरोध न करते तो हिंदू जागता नहीं। इस मौके पर महामंडलेश्वर स्वामी गिरिधर, स्वामी विशोकानंद भारती, स्वामी विवेकानंद, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं महानिवार्णी अखाड़ा के सचिव रविंद्रपुरी, महामंडलेश्वर हरिचेतनानंद आदि मौजूद रहे।

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