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वीडियो: कन्नौज रैली में घुसा सांड, अखिलेश बोले- योगी ‘सांड’ को नहीं रोक पा रहे, तो किसानों का क्या हाल होगा  

उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं के आतंक का जीता-जागता नमूना गुरुवार को गठबंधन की रैली में देखने को मिला। कन्नौज में गठबंधन की रैली से पहले एक सांड घुस आया और अफरातफरी मच गई। बाद में एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तंज किया कि वह शिकायत करने आया था।

कन्नौज में हुई गठबंधन की रैली में घुसे सांड से जूझता एक बहादुर युवक (फोटो सौजन्य :<a href="https://twitter.com/yadavakhilesh">@<b>yadavakhilesh</b></a>)
कन्नौज में हुई गठबंधन की रैली में घुसे सांड से जूझता एक बहादुर युवक (फोटो सौजन्य :@yadavakhilesh

उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार के आने के बाद से आवारा पशुओं का आतंक दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। गुरुवार को उत्तर प्रदेश के कन्नौज में हुई एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन की रैली में नेताओं के पहुंचने से पहले एक सांड घुस आया, जिससे रैली स्थल पर अफरा-तफरी मच गई।

इसे काबू में करने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करना पड़ी और लोगों को दूर रखने के लिए हलका फुलका लाठीचार्ज करना पड़ा ताकि लोग सांड के सामने न आएं। इस दौरान एक बहादुर युवक ने इस सांड को काबू करने की कोशिश की, जिसमें वह घायल हो गया।

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बाद में यहां बीएसपी सुप्रीमो मायावती और पत्नी और कन्नौज से उम्मीदवार डिंपल यादव के साथ रैली में पहुंचे समाजवादी पार्टी अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस घटना को लेकर उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार पर करारा तंज किया। उन्होंने कहा कि, “हमें नहीं पता था कि कोई शिकायत लेकर पहले ही पहुंच जाएगा। शायद उसे (सांड) लगा कि हरदोई से कोई हैलीकॉप्टर आने वाला है, और वह अपनी शिकायते लेकर आ गया।”

इसके बाद अखिलेश ने एक ट्वीट में फोटो शेयर करते हुए लिखा, “अगर योगी सरकार राजनीतिक कार्यक्रमों में सांड को घुसने से नहीं रोक पा रही है, तो गरीब किसानों का क्या हाल हो रहा होगा यह बस वही जानते होंगे।” उन्होंने आगे लिखा, “21 महीनों में हमने एक्सप्रेसवे बनाया था, लेकिन पिछले 2 सालों में जनता 5 करोड़ आवारा पशुओं से परेशान हो गई है।”

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गौरतल है कि उत्तर प्रदेश के किसान कर्ज तले दबे होने से और फसल का उचित दाम नहीं मिलने से तो परेशान हैं ही। लेकिन, फिलहाल उससे भी ज्यादा परेशान वो छुट्टा घूम रहे आवारा पशुओं से हैं। ये छुट्टे आवारा पशु किसानों की लहलहाती फसल ‘चर’ जा रहे हैं। जिससे किसानों की सारी मेहनत पर पानी फिर जा रहा है। ये एक तरह से किसानों की फसल पर कुदाल चलाने जैसा है।

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