बिहार में डबल इंजन की एनडीए सरकार में शह-मात का खेल चल रहा है। एनडीए के दोनों दल भले ही दिखा कुछ और रहे हों, लेकिन अंदर की हकीकत कुछ और दिख रही है। सत्ता की सबसे बड़ी पार्टी होकर भी भारतीय जनता पार्टी का विधानसभा में तीसरे नंबर के दल जेडीयू ने बुरा हाल कर रखा है। बिहार की राजनीतिक बिसात पर बीजेपी ने जब-जब शह दी, जेडीयू ने उसे जोरदार मात दी। मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान भी यह दिखा और अब बजट में भी जेडीयू ने बीजेपी को बुरी तरह पटक दिया। भाजपाई वित्त मंत्री को ही मजबूरी में बीजेपी के विभागों का बजट काटना पड़ा और जेडीयू का बढ़ाना पड़ा। इतना ही नहीं, सबसे कद्दावर नेता सैयद शाहनवाज अहमद का कद छोटा रखने में भी नीतीश कुमार ने कोई कसर नहीं छोड़ी।
Published: 02 Mar 2021, 4:26 PM IST
बिहार विधानसभा में 75 सीटों वाली सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल विपक्ष में है। वहीं 74 सीटों के साथ दूसरे नंबर की पार्टी बीजेपी तीसरे नंबर की पार्टी जेडीयू के साथ सत्ता में है। कहने को तो बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर एनडीए सरकार बनाई है, लेकिन साथ रहते हुए भी दोनों दल एक-दूसरे को काटने में लगे हैं। ताजा मामला बजट के दौरान तब सामने आया, जब भाजपाई वित्त मंत्री तार किशोर प्रसाद को खुद अपनी पार्टी को फायदा नहीं देकर जेडीयू के विभागों की झोली भरने के लिए मजबूर होना पड़ा।
बिहार में जेडीयू के पास 20 विभाग हैं और दिखाने के लिए बजट में इनमें से 6 का बजट काटा भी गया, लेकिन इसके बावजूद कुल मिलाकर बीजेपी से दोगुना बजट जेडीयू के कोटे के विभागों के पास रहा। वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 22 फरवरी को पेश बिहार के बजट से पहले बीजेपी के विभागों से जेडीयू का बजट 42085 करोड़ अधिक था और अब यह अंतर 54497 करोड़ का हो गया है। सत्ता की सबसे बड़ी पार्टी के विभागों का कुल बजट 56754 करोड़ है, जबकि जेडीयू के विभागों का कुल बजट आज की तारीख में 111251 करोड़ है।
Published: 02 Mar 2021, 4:26 PM IST
केंद्रीय राजनीति से बिहार की राजनीति में ‘धकेले’ गए सैयद शाहनवाज हुसैन भी बजट से अंदर ही अंदर नाखुश हैं। पहले तो उन्हें उद्योग विभाग से बड़ी उम्मीद थी, लेकिन जब बजट मिला तो सारे सपने चूर हो गए। उद्योग विभाग अब तक जेडीयू ने अपने पास रखा था, लेकिन जब बीजेपी को देने की बात आई और नाम शाहनवाज हुसैन का आया तो वह बेहद खुश थे। बाकायदा यह तक कह दिया था कि जो कोई नहीं कर सका, वह करेंगे। लेकिन, बजट ने उनका कद इतना ही बढ़ाया कि वह भाजपाई मंत्रियों में 11वें नंबर से अब 10वें नंबर पर आ गए। वजह यह कि उद्योग विभाग का बजट पहले 915 करोड़ था, जिसे अब 1285 करोड़ किया गया है। बीजेपी में उनके बहुत जूनियर मंत्रियों के पास ज्यादा बजट वाले 9 विभाग हैं।
Published: 02 Mar 2021, 4:26 PM IST
जेडीयू ने बीजेपी को और बीजेपी ने शाहनवाज हुसैन को उद्योग विभाग क्यों दिया, अब इस पर भी सवाल लाजिमी है। दरअसल, जेडीयू अब उद्योग नहीं ला पाने के जनता के सवालों का जवाब नहीं दे पा रहा है। पिछली बार नीतीश कुमार को लोगों ने घेरा तो उन्होंने बिहार को लैंडलॉक बता दिया था। उस पर घिरने के बाद से ही नीतीश इसे बीजेपी को देने का मन बनाए हुए थे। इसके अलावा बड़ा कारण यह भी है कि बीजेपी उद्योग से संबंधित जितनी योजनाएं केंद्र स्तर से ला रही है, उनमें बिहार के लिए संभावना ही नहीं छोड़ रही है। ऐसे में नीतीश अपने ऊपर हमला झेलने को तैयार नहीं हैं।
दूसरी तरफ बीजेपी के अंदर भी बड़ा बवाल चल रहा है। बवाल यह कि बिहार बीजेपी का कोई नेता केंद्रीय राजनीति करने वाले किसी नेता को बिहार में पावरफुल होने नहीं देना चाहता था और ऐसा ही मंत्रिमंडल विस्तार में भी दिखा। बीजेपी के पास स्वास्थ्य, नगर विकास, पथ निर्माण, वित्त, कृषि जैसे बड़े विभाग थे, लेकिन जो शाहनवाज डिप्टी सीएम के उम्मीदवार थे- अब 10वें नंबर के मंत्री बनकर संतोष कर रहे हैं।
Published: 02 Mar 2021, 4:26 PM IST
असल में जेडीयू-बीजेपी के बीच झंझट विधानसभा चुनाव के समय से ही है। एलजेपी के चिराग पासवान को सीटें देने पर झंझट हुआ। फिर एलजेपी ने जेडीयू के सामने प्रत्याशी खड़े कर 6 मंत्रियों समेत उसके 35 उम्मीदवारों को हराने में अहम भूमिका निभाई। इससे जेडीयू-बीजेपी में गतिरोध बढ़ा तो बीजेपी ने नीतीश की इच्छा के खिलाफ जाकर तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को दिल्ली का रास्ता दिखा दिया। यह खाई भरती, इससे पहले अरुणाचल प्रदेश में बीजेपी ने जेडीयू के 7 में से 6 विधायक तोड़ लिए।
बीजेपी के इन सारे हमलों से बौखलाए जेडीयू ने जवाब के लिए चक्रव्यूह की रचना की। सबसे पहले बीजेपी को मजबूर किया कि रामविलास के निधन से खाली हुए मंत्री पद को चिराग पासवान के पास नहीं भेजा जाए। इसके बाद नीतीश बीजेपी की ओर से मजबूत उप-मुख्यमंत्री को लेकर तैयार नहीं हुए। बीजेपी एक पुराने प्रदेश अध्यक्ष को उप-मुख्यमंत्री बनाना चाह रही थी, लेकिन नीतीश की इच्छा देखते हुए उसे दो नए और बेहद कम अनुभवी विधायकों को उप-मुख्यमंत्री बनाना पड़ा। अब हालत वही है, जो सुशील मोदी के समय होता था। नीतीश इच्छा से ही दोनों उप-मुख्यमंत्री काम कर रहे हैं।
Published: 02 Mar 2021, 4:26 PM IST
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Published: 02 Mar 2021, 4:26 PM IST