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रेवंत रेड्डी ने पीएम मोदी से तेलंगाना बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की, दौरा करने का भी आग्रह किया

सीएम रेवंत रेड्डी ने कहा कि बाढ़ के कारण जान-माल का भारी नुकसान हुआ है, साथ ही फसलों और संपत्तियों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। इसके साथ ही रेल पटरियां बह गईं, कई सड़कें और झीलें टूट गईं, जबकि बिजली के खंभे भी बड़े पैमाने पर क्षतिग्रस्त हो गए हैं।

रेवंत रेड्डी ने पीएम मोदी से तेलंगाना बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की, दौरा करने का भी आग्रह किया
रेवंत रेड्डी ने पीएम मोदी से तेलंगाना बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की, दौरा करने का भी आग्रह किया फोटोः IANS

तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य में भारी बारिश और बाढ़ से हुई तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी से बारिश और बाढ़ से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए व्यक्तिगत रूप से राज्य का दौरा करने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि बाढ़ के कारण जान-माल का भारी नुकसान हुआ है, साथ ही फसलों और संपत्तियों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। इसके साथ ही रेल पटरियां बह गई, कई सड़कें और झीलें टूट गई, जबकि बिजली के खंभे भी बड़े पैमाने पर क्षतिग्रस्त हो गए हैं।

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राज्य के मंत्रियों और शीर्ष आला-अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में रेवंत रेड्डी ने मुख्य सचिव शांति कुमारी से कहा कि वह प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर उनसे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने का अनुरोध करें। राज्य सरकार केंद्र से बारिश और बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए एक टीम भेजने का भी अनुरोध करेगी।

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बैठक में मृतकों के परिवारों के लिए मुआवजा राशि 4 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने का निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री ने मवेशियों के नुकसान के लिए मुआवजे की राशि को 30,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये करने का भी फैसला किया। वहीं राज्य सरकार बकरी/भेड़ के नुकसान के लिए 3,000 रुपये के मौजूदा मुआवजे के बजाय 5,000 रुपये का भुगतान करेगी। रेवंत रेड्डी ने तत्काल राहत कार्यों के लिए खम्मम, महबूबाबाद, सूर्यपेट और भद्राद्री कोठागुडेम जिले के कलेक्टरों को 5-5 करोड़ रुपये जारी करने का भी आदेश दिया।

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इस बीच मौसम विभाग ने अगले दो दिनों में आदिलाबाद, निजामाबाद और निर्मल जिले में भारी बारिश का अनुमान जताया है, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को अलर्ट रहने को कहा है। उन्होंने निर्देश दिया कि निचले इलाकों से लोगों को राहत शिविरों में पहुंचाया जाए। चौबीसों घंटे निगरानी के लिए कलेक्ट्रेट में नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाएंगे, जबकि हर तीन घंटे में मौसम संबंधी बुलेटिन जारी किया जाएगा।

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अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि प्रारंभिक आंकलन से पता चलता है कि 1.5 लाख एकड़ से अधिक भूमि पर कृषि फसलों को नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि बारिश और बाढ़ के कारण अपने मकान खो चुके लोगों को इंदिराम्मा योजना के तहत मकान स्वीकृत किए जाएं। यह बताए जाने पर कि राहत कार्यों के लिए एनडीआरएफ की टीमों को प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचने में समय लग रहा है, मुख्यमंत्री ने प्रस्ताव दिया कि राज्य की आठ बटालियनों में एक तिहाई पुलिसकर्मियों को एनडीआरएफ की तर्ज पर प्रशिक्षण दिया जाए।

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