मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के लिए लगाई गई पाबंदियों के करीब तीन महीने बाद भी कश्मीर में जन-जीवन पटरी पर नहीं लौटा है, साथ ही तमाम कारोबार ठप पड़े हैं। इसके चलते अकेले कश्मीर घाटी में कारोबारियों को कम से कम 10,000 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है। कश्मीर के एक व्यापारिक संगठन कश्मीर वाणिज्य और उद्योग मंडल ने कहा है कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद लगी पाबंदियों की वजह से मुख्य बाजार ज्यादातर समय बंद रहे और सार्वजनिक परिवहन भी सड़कों से नदारद रहा।
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कश्मीर उद्योग मंडल के अध्यक्ष शेख आशिक के मुताबिक शहर के लाल चौक इलाके में कुछ दुकानें सुबह के समय और शाम को अंधेरा होते समय खुलती हैं. लेकिन मुख्य बाजार बंद हैं। उनका कहना है कि कितना नुकसान हुआ है इसका अनुमान अभी लगाना मुश्किल है क्योंकि हालात अभी तक सामान्य नहीं हो पाए हैं। उनके मुताबिक इस दौरान कारोबारी समुदाय को गंभीर झटका लगा है और इससे उबरना मुश्किल लगता है।
शेख आशिक ने कहा कि, “कश्मीर में अब तक कुल कारोबारी नुकसान करीब 10,000 करोड़ रुपये को छू चुका है और सभी क्षेत्रों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। करीब तीन माह होने को है और मौजूदा स्थिति को देखते हुये लोग अभी भी कारोबार नहीं कर रहे हैं। हाल के सप्ताहों में कुछ बाजार खुले और कारोबार शुरू किया गया लेकिन हमारे पास उपलब्ध सूचना के मुताबिक कामकाज काफी सुस्त रहा।“
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उद्योग मंडल अध्यक्ष का कहना है कि इंटरनेट सेवाएं बंद होना कारोबार ठप होने की सबसे बड़ी वजह है। उन्होंने बताया, “आज के दौर में किसी भी कारोबार के लिये इंटरनेट जरूरी है, इसके बिना काम करना मुश्किल है। हमने इस बारे में राज्यपाल प्रशासन को अवगत करा दिया है। उन्हें बता दिया गया है कि कश्मीर में काम धंधे को नुकसान होगा और अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ जायेगी। आने वाले समय में इसका गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।“
शेख आशिक ने बतया, ‘अगर सिर्फ हस्तशिल्प क्षेत्र की बात करें तो इससे जुड़े लोगों को जुलाई-अगस्त माह में आर्डर मिलते हैं और फिर उन्हें क्रिसमस त्योहार यानी नये साल के आसपास ये आर्डर पूरे करने होते हैं। ये दस्तकार कब अपने आर्डर पूरे कर पायेंगे? यह काम तभी हो पायेगा जब उन्हें इंटरनेट कनेक्टिविटी मिलेगी। इसके बिना 50 हजार के करीब बुनकरों और दस्तकारों को रोजगार का नुकसान हुआ है।“
कश्मीर वाणिज्य एवं उद्योग मंडल के अध्यक्ष ने कहा कि सरकार को इस पूरे नुकसान की जिम्मेदारी लेनी चाहिये और व्यापारियों और कारीगरों के नुकसान की भरपाई करने के लिये कदम उठाने चाहिये।
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