मोरबी की घटना को लेकर राज्य सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं। सवाल एक घड़ी बनाने वाली कंपनी को पुल के रखरखाव का ठेका दिए जाने पर भी उठ रहा है। विपक्षी दलों के साथ-साथ अब बीजेपी के वरिष्ठ नेता भी इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने ओरेवा ग्रुप की अजंता मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड को दिए गए रिनोवेशन कॉन्ट्रैक्ट पर सवाल उठाया है। हालांकि पटेल ने राज्य सरकार को क्लीन चिट दे दी है और दावा किया है कि कंपनी को रिनोवेशन कॉन्ट्रैक्ट देने में सरकार की कोई भूमिका नहीं है।
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पटेल ने स्थानीय मीडिया से बात करते हुए कहा, मोरबी नगरपालिका ने किस आधार और तकनीकी योग्यता के आधार पर रिनोवेशन कॉन्ट्रैक्ट अजंता मैन्युफैक्चरिंग को देने का फैसला किया, वह भी उस कंपनी को जिसे पुल निर्माण और रिनोवेशन का कोई तकनीकी ज्ञान या पिछला अनुभव नहीं है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्य सरकार गलतियों और कुप्रबंधन की जांच करने के लिए एक जांच पैनल बनाएगी।
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एक अन्य घटनाक्रम में जैसे ही मुख्यमंत्री कार्यालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मोरबी दौरे की घोषणा की, सरकारी अस्पताल की इमारत की मरम्मत शुरू कर दी गई। अन्य जगहों की भी तेजी से मरम्मत जारी है। इसको लेकर वरिष्ठ नेता शंकरसिंह वाघेला ने निशाना साधा।
वाघेला ने कहा, आज शहर 141 निर्दोष लोगों की मौत पर मातम मना रहा है, जिला प्रशासन अस्पताल की सफाई और रंग-रोगन में लगा हुआ है, जिसने भी यह आदेश दिया है उसे शर्म आनी चाहिए।
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एक वकील भौमिक शाह ने गुजरात के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर मोरबी त्रासदी में स्वत: जनहित याचिका शुरू करने का अनुरोध किया है। उन्होंने अनुरोध किया है कि एक मौजूदा या सेवानिवृत्त न्यायाधीश को जांच का नेतृत्व करना चाहिए।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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