21 मार्च को रामगढ़ फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मॉब लिंचिंग में हुई अलीमुद्दीन की हत्या के मामले में 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सजा पाने वालों में एक बीजेपी नेता और गौ-रक्षक समिति के 3 सदस्य भी शामिल हैं। इस मामले में एक 16 वर्षीय नाबालिग के खिलाफ अभी मामला जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने विचाराधीन है।
अलीमुद्दीन हत्याकांड के बाद बढ़े आंदोलन के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने 22 दिसंबर, 2017 को फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन का आदेश दिया था। गठन के साथ ही फास्ट ट्रैक कोर्ट ने इस मामले में लगातार सुनवाई शुरू की गई, जिसका नतीजा है कि गठन के 6 महीने में ही इस मामले में फैसला आ गया।
घटना के समय बनाए गए वीडियो और फोटो के अलावा बरामद सामान को साक्ष्य के रूप में कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने 16 मार्च, 2018 को जेल में बंद सभी 11 अभियुक्तों को धारा 147/148/427/149/435/ 320 के तहत दोषी करार दिया था।
29 जून, 2017 को सुबह 10 बजे हेसला निवासी अलीमुद्दीन प्रतिबंधित मांस लेकर अपने मारुति वैन से चितरपुर की ओर से आ रहे थे। बाजारटांड़ स्थित हिंदुस्तान गैस एजेंसी के पास कई लोगों ने अलीमुद्दीन को घेर लिया। भीड़ ने लाठी-डंडों से अलीमुद्दीन की पिटाई की और उनकी गाड़ी में आग लगा दी। इलाज के लिए रांची ले जाते समय अलीमुद्दीन की रास्ते में ही मौत हो गई।
अलीमुद्दीन की पत्नी मरियम खातून ने इस मामले में नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी। उन्होंने बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के लोगों पर सुनियोजित तरीके से अलीमुद्दीन की हत्या करने का आरोप लगाया था।
मॉब लिंचिंग की न तो यह पहली घटना थी और न ही अंतिम। इसके अलावा मॉब लिंचिंग की कई ऐसी घटनाएं सामने आईं, जिनमें अभी तक न्याय नहीं मिला या आरोपियों को बरी कर दिया गया।
फरीदाबाद में बल्लगढ़ के जुनैद खान की हत्या के मामले में फरीदाबाद की अदालत में चल रहे मुकदमे की कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। जुनैद के पिता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र, हरियाणा सरकार और सीबीआई को नोटिस जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में जुनैद के पिता ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। याचिका में कहा गया कि हरियाणा पुलिस ने मामले को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है और इसे एकतरफा नफरत की वजह से हमले की बजाय झड़प की शक्ल दे रही है।
जुनैद की हत्या 22 जून, 2017 को उस वक्त की गई थी जब वह अपने भाइयों के साथ ईद की शॉपिंग करके ट्रेन से लौट रहे थे। बल्लभगढ़ के पास ट्रेन के पहुंचने से पहले ही उनकी धारदार हथियार से हत्या कर शव असावटी के पास फेंक दिया गया था।
यूपी के दादरी में बहुचर्चित अखलाक हत्याकांड के सभी आरोपी जमानत पर जेल से बाहर आ चुके हैं। 15 आरोपी बिसाहड़ा गांव के नैशनल थर्मल पॉवर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) प्लांट में नौकरी कर रहे हैं।
28 सितंबर, 2015 को बिसाहड़ा गांव में घर में गोमांस रखने के आरोप में अखलाक की लोगों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इस मामले में पुलिस ने 18 लोगों को अभियुक्त बनाया था। पिछले 6 महीनों में सभी आरोपी जेल से बाहर आ चुके हैं। घटना के समय 3 आरोपी नाबालिग थे। आरोपियों में से एक की जेल में मौत हो गई थी।
राजस्थान पुलिस 2017 में अलवर जिले में 55 साल के पहलू खान को गौ-रक्षकों की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डालने के मामले में 6 आरोपियों को क्लीन चिट दे चुकी है। पुलिस का कहना था कि घटना स्थल पर मौजूद लोगों द्वारा दिए गए बयानों, फोटो और मोबाइल फोन लोकेशन के रिकॉर्ड के आधार पर क्लीन चिट दी गई है, जबकि मामले के 9 अन्य आरोपियों के खिलाफ आपराधिक मामला चल रहा है।
1 अप्रैल, 2017 को अलवर में कथित गौ-रक्षकों की भीड़ ने पहलू खान पर हमला किया था। जिस वक्त उन पर हमला हुआ, उस वक्त वह राजस्थान में गाय खरीदने के बाद हरियाणा के मेवात जा रहे थे। डेयरी का व्यापार करने वाले पहलू खान की हमले के 2 दिन बाद मौत हो गई थी।
Published: 22 Mar 2018, 4:08 PM IST
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Published: 22 Mar 2018, 4:08 PM IST