राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने अब कथित धर्म सभाओं और रैलियों के जरिए लोकसभा चुनावों के पहले बीजेपी के लिए लहर पैदा करने का बीड़ा उठाया है। रविवार को दिल्ली में राम लीला मैदान में राम मंदिर निर्माण के रास्ते में आने वाली बाधाओं को हटाने के लिए कानून बनाने की मांग की जाएगी। मंगलवार से शुरु हो रहे संसद के शीत सत्र से पहले इस आयोजन को सरकार और विपक्ष पर दबाव बनाने के लिए शक्ति प्रदर्शन भी कहा जा रहा है।
आरएसएस की सक्रिय भागीदारी से हो रहे इस आयोजन में 6 से 8 लाख लोगों के शामिल होने का दावा है। लेकिन जिस स्थान पर इसका आयोजन किया जा रहा है उस रामलीला मैदान की कुल क्षमता ही मात्र 80 हजार है।
विश्व हिंदू परिषद के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने दावा किया कि रविवार को दोपहर एक बजे धर्म सभा की प्रक्रिया आरंभ हो जाएगी। उन्होंने बताया कि इसमें आरएएस के भैया जी जोशी, वीएचपी के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष रिटायर्ड जज विष्णु सदाशिव कोकजे, जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशांनद गिरी, जगदगुरु रामानंदाचार्य हंसदेवाचार्य महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद महाराज, युगपुरुष परमानंद जी महाराज, साध्वी ऋतुंभरा समेत कई प्रमुख संतों व आरएसएस पदाधिकारियों व स्वयंसेवकों को शामिल होने के आसार हैं।
संघ ने अभी पहली दिसंबर को दिल्ली में लोगों को जुटाने का दावा किया था। लेकिन संकल्प यात्रा के नाम से निकाली गई इस रैली में 100 लोग भी नहीं जुट सके थे। संघ का यह शो फ्लॉप होने के बाद उत्तर प्रदेश और हरियाणा के संघ कार्यकर्ताओं को भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
इसके अलावा दिल्ली एनसीआर से भी भारी संख्या में लोगों को आयोजन स्थल पर लाने की कोशिश की जा रही है। हालांकि वीएचपी के दिल्ली प्रांत के मीडिया प्रभारी महेंद्र सिंह रावत ने दावा किया कि मेरठ से 13 हजार और आगरा मथुरा क्षेत्र के बृज प्रदेश से 1200 बसों में लोग रामलीला मैदान पहुंच रहे हैं।
आयोजकों का कहना है कि ज्यादातर लोग दिल्ली से 250 किमी परिधि के भीतर से बुलाए जा रहे हैं ताकि वे शाम को समागम समाप्त होने के बाद अपने घरों को लौट सकें। हालांकि दिल्ली में बीजेपी शासित प्रदेशों के सरकारी भवनों में बड़ी तादाद में लोगों के पहुंचने का सिलसिला दो दिन पहले ही शुरू हो गया था। राजस्थान, मध्य प्रदेश से भी चुनाव संपन्न होने के बाद बड़ी तादाद में लोगों के दिल्ली पहुंचने का दावा किया गया है।
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