राम मंदिर विवाद का सुप्रीम कोट ने भले ही पटाक्षेप कर दिया हो लेकिन अब ट्रस्ट के गठन को लकर विवाद शुरू हो गया है। संतों और धर्मगुरुओं में ट्रस्ट के अध्यक्ष बनने को लेकर होड़ लगी हुई है। ऐसे में बखेड़ा तो होना ही था। इसी बीच एक ऑडियो क्लिप ने हंगामा मचा दिया है। दरअसल पूर्व बीजेपी सांसद रामविलास वेदांती का एक ऑडियो क्लिप सामने आया है, जिसमें वह तपस्वी जी की छावनी के परमहंस दास से बातचीत करते सुनाई दे रहे हैं। इस ऑडियो क्लिप में वेदांती, परमहंस दास से राम मंदिर निर्माण के लिए बनायी जाने वाली ट्रस्ट के अध्यक्ष के लिए उनका नाम आगे किए जाने और सीएम योगी आदित्यनाथ को ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाए जाने का विरोध करते सुनाई दे रहे हैं। उनकी यह ऑडियो लीक होने के बाद हंगामा मच गया है।
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विश्व हिंदू परिषद के नेता और अयोध्या स्थित वशिष्ठ भवन के महंत रामविलास वेदांती ऑडियो क्लिप में राम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष के तौर पर सीएम योगी आदित्यनाथ के नाम का विरोध कर रहे हैं। वेदांती ने सीएम योगी आदित्यनाथ के संतों के भिन्न संप्रदाय से संबंधित होने के चलते उनके नाम का विरोध किया। बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ नाथ संप्रदाय से ताल्लुक रखते हैं हालांकि जब वेदांती के इस ऑडियो क्लिप पर मीडिया ने उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने इस पर कोई जवाब नहीं दिया।
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जनसत्ता की खबर के मुताबिक ऑडियो क्लिप में रामविलास वेदांती और परमहंस दास रामजन्मभूमि न्यास के प्रमुख महंत नृत्यगोपाल दास के खिलाफ भी आपत्तिजनक बातें करते सुनाई दिए। जिस पर विवाद हो गया है। दरअसल महंत नृत्यगोपाल दास ने ही राम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष पद के लिए सीएम योगी के नाम का सुझाव दिया है।
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इन विवादों के बीच तपस्वी जी की छावनी द्वारा परमहंस दास को छावनी से निकाल दिया गया है। ऑडियो क्लिप के लीक होने के बाद से ही परमहंस दास निशाने पर थे। रामजन्मभूमि न्यास के प्रमुख नृत्यगोपाल दास के समर्थकों ने तपस्वी जी की छावनी में परमहंस दास के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया था। माना जा रहा है कि इन्हीं वजहों के चलते परमहंस दास को छावनी से निकाल दिया गया है।
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बता दें कि बीती 9 नवंबर को राम मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए विवादित भूमि पर राम मंदिर का निर्माण कराने के निर्देश दिए थे। इसके लिए कोर्ट ने तीन माह में राम मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट का गठन करने के भी निर्देश दिए हैं। इसी ट्रस्ट में शामिल होने और इसका अध्यक्ष बनने के लिए संतों और धर्मगुरुओं में होड़ लगी हुई है।
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