अयोध्या जमीन विवाद मामले में चौथे दिन की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने मामले पर दैनिक सुनवाई को लेकर आपत्ति दर्ज कराई है। मुस्लिम पक्षकार का प्रतिनिधित्व कर रहे धवन ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट में सभी 5 कार्यदिवसों पर सुनवाई करती है तो मामले को लेकर तर्को को तैयार करना मुश्किल होगा।
Published: 09 Aug 2019, 2:05 PM IST
उन्होंने कहा, “यह पहली अपील की शुरुआत है, हमें तर्को की तैयारी के लिए समय नहीं मिलता है।” उन्होंने सुनवाई के लिए तैयार की गई कार्यप्रणाली को 'अमानवीय' और 'व्यावहारिक रूप से असंभव' करार दिया और कहा कि इस तरह से आगे नहीं जाया जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने धवन को आश्वासन दिया कि शीर्ष अदालत उनकी शिकायतों पर गौर करेगी और जल्द से जल्द उन्हें इस संबंध पर जानकारी देगी।
Published: 09 Aug 2019, 2:05 PM IST
इससे पहले गुरूवर को सुनवाई के दौरान ‘राम लला’ की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील के परासरण ने सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष दलीलें पेश की थी। पीठ ने जानना चाहा कि क्या जन्मस्थान को कानूनी व्यक्ति माना जा सकता है। जहां तक देवाताओं का संबंध है तो उन्हें कानूनी व्यक्ति माना गया था। पीठ के इस सवाल पर परासरण ने कहा कि हिंदू धर्म में किसी स्थान को उपासना करने के लिए वहां मूर्ती का होना जरूरी नहीं है। हिंदू में जल और सूर्य की भी पूजा होती है, जन्मस्थान को भी कानूनी व्यक्ति माना जा सकता है।
Published: 09 Aug 2019, 2:05 PM IST
उन्होंने कहा था कि जन्मस्थान की सटीक जगह नहीं है, लेकिन इसका मतलब आसपास के इलाकों से भी हो सकता है। पूरा क्षेत्र ही जन्मस्थान है। हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष विवादित क्षेत्र को जन्मस्थान कहते हैं। बता दें कि मध्यस्थता के जरिए मैत्रीपूर्ण तरीके से किसी समाधान पर पहुंचने की कोशिशें विफल होने के बाद सुनवाई की जा रही है।
सुनवाई के दौरान उन्होंने आगे कहा था कि राम का जन्मस्थान का मतलब है कि एक ऐसा स्थान जहां सभी की आस्था और विश्वास है। इस पर जस्टिस अशोक भूषण ने वकील परासरण से पूछा कि क्या एक जन्मस्थान एक न्यायिक व्यक्ति हो सकता है?
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(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
Published: 09 Aug 2019, 2:05 PM IST
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Published: 09 Aug 2019, 2:05 PM IST